Friday, June 24, 2016

क्या बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी किसी के बाप की निजी रियासत है?मामूली सी मांग पर निलंबन जैसी सजा क्यों दी गई हमारे छात्र साथियों को?

मुझे बीएचयू विश्वविद्यालय कम सामंती पंडे-पुरोहितों का आश्रय स्थल ज्यादा लगता है।
जिसमे गोबर चन्द्र त्रिपाठी जैसे नक्कारा लोगों को मठाधिस बनाकर सत्ताधारी राजनैतिक पार्टियां भेजा करती है।
बेहद शर्मिंदा हूँ की मालवीयजी के आर्दशों,मूल्यों और सपनों का सरेआम क़त्ल हो रहा है।
24×7 लाइब्रेरी जैसी मुलभुत मांगों के लिए हमारे 9 दिन के भुखहड़ताली Vikas SinghRoshan Pandey आर्य भारत Deepak Singh Amardeep Singh सहित 9 साथियों को निलंबित कर दिया।
क्या बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी किसी के बाप की निजी रियासत है?मामूली सी मांग पर निलंबन जैसी सजा क्यों दी गई हमारे छात्र साथियों को?
क्या इस देश में संवैधानिक तरीकों से अपने हक़-अधिकारों की मांग गलत है?
क्या हमारा विश्वविद्यालय भारतीय संविधान के क्षेत्राधिकार से बाहर है?
मेरे अंदरुनी प्रतिरोध को शायद मुक्तिबोध की ये चंद पंक्तियाँ स्वर दे सके..
"अब अभिव्यक्ति के सारे खतरे
उठाने होंगे
तोड़ने होंगे ही मठ-गढ़ सब...🙅
‪#‎बीएचयू‬ वीसी डूब मरो👎
‪#‎छात्र‬ एकता जिंदाबाद👍

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