Thursday, June 16, 2016

विकास के नाम पर विस्थापन कब तक : अवैध खनन और विस्थापन के प्रभावों पर जनसुनवाई संघर्ष संवाद

विकास के नाम पर विस्थापन कब तक : अवैध खनन और विस्थापन के प्रभावों पर जनसुनवाई

संघर्ष संवाद 



जयपुर, 16 जून, नवलगढ़ में प्रस्तावित सीमेंट फैक्ट्रियों, अलवर में DRDO की परियोजना, किशनगढ़ के गाँवों में  एअरपोर्ट कार्गो हब बनाने, नीम का थाना में महवा-भराला में गैर कानूनी तौर पर जबरन किये जा रहे भूमि अधिग्रहण को राजस्थान/केंद्रीय सरकार तुरंत रद्द करे. नीम का थाना में जबरन और पूर्ण गैर कानूनी तरीके से शहर में सड़क चौड़ी करने के नाम पर हुई कार्यवाही में लोगों के घर तोड़े गए, महिलाओं के साथ मार-पीट और बदतमीजी की गयी. प्रशासन की इस पूरी तरह गैर ज़िम्मेदाराना हरकत के खिलाफ सरकार तुरंत कार्यवाही करे. जिन लोगों के घर तोड़े गए उन्हें तुरंत मुआवज़ा दिया जाये और शासन द्वारा गैर-कानूनी कब्ज़ा रद्द किया जाये. कोटपूतली और नीम का थाना में चल रहे गैर-कानूनी खनन को तुरंत रोका जाये. खनन माफिया के द्वारा प्रदीप शर्मा की हत्या, दयाराम शर्मा और मालीराम सैनी की प्रशासनिक हत्या के खिलाफ तुरंत कार्यवाही हो. शहीद स्मारक पर दिए जा रहे ‘जवाब दो’ धरने में पिछले दो दिनों में अवैध खनन और विस्थापन सम्बन्धी मुद्दों पर हुई जनसुनवाई में ये मांगें प्रदेश भर से आये विस्थापन और अवैध खनन प्रभावित लोगों ने उठाई. 

जनसुनवाई में नवलगढ़ किसान संघर्ष समिति, शुक्लाबास खनन विरोधी आन्दोलन, उदयपुर वाटी, रामकुमारपुरा (खेतड़ी) अदि इलाकों से खनन प्रभावित साथियों ने हिस्सा लिया. लोगों का कहना था कि विकास के नाम पर राज्य सरकार जबरन गरीबों की जमीनें हथियाने में लगी है. न गरीब के झोपड़ों को छोड़ रही है और न ही किसी रसूखदार की हवेली को. यह सब सरकार कॉरपोरेट समूहों के दबाव में कर रही है.
जनसुनवाई में पेनालिस्ट के रूप में गुजरात से भूमि अधिकारों पर काम करने वाले सागर रेबारी, देश के प्रख्यात बुद्धिजीवी शिव विस्वनाथन, सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा रॉय, जस्टिस पानाचंद जैन, समग्र सेवा संघ के सवाई सिंह, खनन मुद्दों से जुड़े कैलाश मीणा, जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय के मधुरेश, नवलगढ़ संघर्ष समिति के कप्तान दीप सिंह, NFIW की निशा सिद्धू आदि मौजूद थे.

सागर रेबारी ने कहा कि लोकतान्त्रिक हकों की घटती जगह के लिए अंधाधुंध विकास की विचारधारा ज़िम्मेदार है. उन्होंने गुजरात का उदाहरण देते हुए बताया कि विकास और रोज़गार के नाम पर लोगों से उनकी ज़मीनें छीनी जा रही हैं और उन्हें उनके परंपरागत रोजगारों से विमुख किया जा रहा है. धोलेरा का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि पहले पुल, फिर बंदरगाह और अब स्मार्ट सिटी के नाम पर लोगों को गुमराह किया जा रहा है और लोगों से उनकी ज़मीनें छीन ली गयी हैं.

शिव विस्वनाथन ने धरने को समर्थन देते हुए कहा कि विकास की आज जो परिकल्पना हम पर थोपी जा रही है वह कभी भी हमारे संवैधानिक लोकतंत्र का हिस्सा नहीं रही. उन्होंने कहा कि भारत में विकास की वजह से शरणार्थी बने लोगों की संख्या युद्ध-शरणार्थियों से कहीं ज्यादा है. उन्होंने दुःख व्यक्त करते हुए कहा कि आज देश में कोई भी अगर विकास पर कोई सवाल उठाता है तो तुरंत उसे देश-द्रोही की संज्ञा दे दी जाती है.
इससे पहले कल सूचना एवं रोज़गार अधिकार अभियान का एक प्रतिनिधि मंडल खनन विभाग के सचिव दीपक उप्रेती व अन्य अधिकारीयों से मिला. इस मीटिंग में खनन, सिलिकोसिस, एवं खान श्रमिकों के मुद्दों पर चर्चा हुई और कुछ अहम फैसले लिए गए जो निम्नानुसार हैं –

-    दो खनन-प्रभावित ब्लॉकों को चिन्हित कर प्रशासन, जन-संगठनों और खान श्रमिकों की एक संयुक्त समिति बनाई जाएगी. यह समिति खनन सम्बन्धी नियमों और दिशा-निर्देशों के उल्लंघन, लीज़ सम्बन्धी अनियमितताओं और खान श्रमिकों की समस्याओं के समाधान के प्रयास किये जायेंगे और इसे एक मॉडल के तौर पर स्थापित कर अन्य ब्लॉकों में भी इस मॉडल को अपनाया जायेगा.

-    अधिकारीयों ने यह भी भरोसा दिलाया कि तुरंत सिलिकोसिस-ग्रस्त लोगों की जिले-वार सूचियाँ जन-संगठनों के सहयोग से बनाकर उन्हें सहायता राशि भिजवाई जाएगी.

-    अधिकारियो ने यह भी कहा कि वे ऐसी व्यवस्था स्थापित करेंगे जिससे सिलिकोसिस-प्रभावित लोगों को उनकी सहायता राशि सीधे उनके बैंक खातों में ही मिल जाये. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इस राशि के वितरण सम्बन्धी सारी जानकारी एक पारदर्शी मैनेजमेंट इनफार्मेशन सिस्टम के ज़रिये सार्वजनिक की जाएगी ताकि उसकी जन-निगरानी की जा सके.

-    अधिकारीयों ने यह भी कहा कि दो मॉडल ब्लॉकों और फिर अन्य सभी ब्लॉकों में हर ग्राम पंचायत में बोर्डों के ज़रिये उस ग्राम पंचायत में दी गयी सभी खनन लीजों की जानकारी सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित की जाएगी. साथ ही इन ग्राम पंचायतों में खदानों द्वारा नियमों का पालन सुनिश्चित करने के लिए एक ग्राम स्तरीय जन निगरानी समिति बनाई जाएगी जिसमें वहां के स्थानीय निवासी भी शामिल होंगे.

-    इसके अलावा अधिकारीयों ने खान श्रमिकों के कल्याण के लिए एक बोर्ड बनाने और सिलिकोसिस से बचाव के लिए सक्शन डिवाईसेज़ और मास्क आदि का इस्तेमाल सुनिश्चित कराने के लिए कदम उठाये जायेंगे.

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