Himanshu Kumar
गुजरात में ह्यूमन रिसोर्स डेवलेपमेंट सेंटर के साथी प्रकाश चाको प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक हैं
वे गुजरात में वर्षों से काम करते हैं
वे मानते हैं कि हरेक काम , सभी जातियों के लोगों को करना चाहिये
उन्होनें गलती से यह भी समझा कि भारतीय समाज से जाति भेद समाप्त हो चुका
उन्होंनें कुछ समय पहले अपनी संस्था में सफाई कर्मचारी के पद के लिये विज्ञापन दिया
इसमें उन्होंने लिखा कि सफाई कर्मचारी पद के लिये आवेदन आमंत्रित हैं , इसमे सामान्य वर्गों के लोगों जैसे ब्राह्मण , क्षत्रिय , वैश्य, पटेल , सैय्यद , पठान , सीरियन क्रिश्चियन आदि को प्राथमिकता दी जायेगी
इस विज्ञापन के निकलते ही ऊपर से चमचमाते विकसित समाज के अंदर की बजबजाती गन्दगी बाहर आ गई ,
फेसबुक पर उनकी हत्या का आहवान किया जाने लगा
परशुराम का रास्ता अपनाये जाने की धमकियों की बाढ़ आ गई
छोटी जातियों के लोगों की जगह पैरों में है , और उन्हें उनकी जगह बताने की धमकियां सोशल मीडिया में दी जाने लगीं
इस संस्था के कार्यालय पर सवर्ण हिन्दुओं के संगठन के सदस्यों नें हमला किया
गुजरात पुलिस नें इस संस्था की सुरक्षा करने की बजाय
इस संस्था के निदेशक प्रकाश चाको के विरुद्ध लोगों की धार्मिक आस्थायें आहत करने की एफआईआर दर्ज कर ली है
सही भी है हिन्दुओं की धार्मिक आस्थायें ज़रूर आहत हुई होंगी
क्योंकि जातिपाति निकाल दो तो हिन्दुओं के पास बचेगा क्या ?
और अगर पुलिस सवर्णों के इस घमंड की रक्षा नहीं करेगी तो क्या दलितों को ब्राह्मणों के बराबर में बैठा देगी ?
गुजरात तो नये हिन्दु राष्टू की प्रयोगशाला बन रहा है ,
गुजरात हाई कोर्ट नें आदेश दिया है कि आरक्षित वर्गों के लोग अपने निश्चित कोटे के बाहर आवेदन नहीं कर सकते
और रिजर्वेशन सिर्फ ४९% है
यानी ५१% पद अनारक्षित हैं
तो बड़ी चालाकी से कोर्ट नें ५१% पद बड़ी जातियों के लिये आरक्षित कर दिये
आबादी में बड़ी जातियां १५% हैं
और आबादी में आरक्षित वर्गों का प्रतिशत ८५% है
तो अब गुजरात में १५% को ५१% पर आरक्षण
और ८५% को मात्र ४९% आरक्षण
और अगर कोई कहे कि आओ बड़ी जातियों वालों आओ
सदियों से खास जातियों के लिये धार्मिक तौर पर आरक्षित सफाई के काम पर से आरक्षण हटा देते हैं
तो सवर्ण जातियां तोड़ फोड़ पर उतर आती हैं
हकीकत आपके सामने है
अब बताइये जाति का सवाल उठाना ज़रूरी है या नहीं ?
जाति खत्म करने का आन्दोलन चलाना ज़रूरी है या नहीं ?
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