Thursday, June 2, 2016

सुना नरभक्षी?



इसका नाम है हिसैन हब्रे, उम्र ७२ साल. १९८२ में सी आई ए और फ़्रांस के समर्थन से मध्यअफ्रीकी मुल्क चाड की सत्ता पर काबिज़ हुआ था और १९९० तक चाड का तानाशाह रहा. अपने शासनकाल में ४०,००० लोगो की हत्याएं और दो लाख से अधिक लोगो को अमानवीय प्रताड़नायें देने का काम बखूबी किया. जब सत्ता छिनी तो पडोसी मुल्क सेनेगल में बीवी बच्चो के साथ रहने लगा जहाँ अंतत: वह गिरफ्तार हुआ.
अफ्रीकी यूनियन के मातहत एक कोर्ट ने इस पर मुकदमा चलाया और इस सप्ताह के आरंभ में इसे आजीवन कारावास की सजा दी गयी.
सी आई ए और फ़्रांस के प्यादों को इस तरह की सजा होना अपने आप में आश्चर्य की बात है, आकाओं ने काम निकाला और कूड़े के ढेर में फेंक दिया. इसका इस्तेमाल लीबिया की गद्दाफी हकुमत के खिलाफ किया गया था, अब गद्दाफी ही नहीं रहा तो बोझा कौन ढोए? चलो न्याय के नाम का ताबीज ही क्यों न पहन लिया जाए?
अफ्रीका में आज तक किसी भी देश में सैन्य तख्ता पलट सी आई ए अथवा किसी यूरोपीय ताकत के समर्थन के बिना नहीं हुआ. ये सफ़ेद चमड़ी के आका अपने अपने देशों में लोकतंत्र की माला जपते है और तीसरी दुनिया में हिसैन हब्रे जैसे दानवो से अपने काम कराते रहते हैं.
बारहाल, चाड की जनता को न्याय की कुछ राहत अवश्य मिली होगी, ज़ुल्म करने वाला हर हाल में सीखचों के पीछे होना चाहिए, चाहे अफ्रीका हो या भारत, भले ही वह विकास की खाल ओढ़ कर शिकार करने में माहिर क्यों न हो.
सुना नरभक्षी?

No comments:

Post a Comment