Thursday, June 2, 2016

Buddhi Nath Mishra बिहार का चंपारण जनपद ब्रिटिश शासन काल में नील की खेती के लिए भी जाना जाता था | महात्मा गाँधी ने अपनी आजादी की लड़ाई का सूत्रपात चंपारण के किसानों के बीच आकर ही किया| नील की खेती तो बंद हो गयी,और उसकी जगह धान-गेहूं की फसलें लहलहाने लगीं,जिससे वहां के किसान काफी समृद्ध हो गए हैं| मगर नील रंग ने चंपारण को नहीं छोड़ा है| वहां के कृषि वैज्ञानिकों ने जामुन के साथ आम की संकर नस्ल तैयार की है,जो देखने में भी नायाब और मधुमेह रोगियों के लिए बेहद फायदेमंद! ये चित्र मैं अपने पत्रकार मित्र श्री सुभाष झा के सौजन्य से आपतक पहुंचा रहा हूँ| यदि प्रयोग सफल रहा,जिसकी पूरी उम्मीद है, तो दुनिया इस श्याम के कदम चूमेगी|

Buddhi Nath Mishra 
बिहार का चंपारण जनपद ब्रिटिश शासन काल में नील की खेती के लिए भी जाना जाता था | महात्मा गाँधी ने अपनी आजादी की लड़ाई का सूत्रपात चंपारण के किसानों के बीच आकर ही किया| नील की खेती तो बंद हो गयी,और उसकी जगह धान-गेहूं की फसलें लहलहाने लगीं,जिससे वहां के किसान काफी समृद्ध हो गए हैं| मगर नील रंग ने चंपारण को नहीं छोड़ा है| वहां के कृषि वैज्ञानिकों ने जामुन के साथ आम की संकर नस्ल तैयार की है,जो देखने में भी नायाब और मधुमेह रोगियों के लिए बेहद फायदेमंद! ये चित्र मैं अपने पत्रकार मित्र श्री सुभाष झा के सौजन्य से आपतक पहुंचा रहा हूँ| यदि प्रयोग सफल रहा,जिसकी पूरी उम्मीद है, तो दुनिया इस श्याम के कदम चूमेगी|



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