Wednesday, June 15, 2016

Geeta Gairola गांव में सिर्फ हमारे देवता है या बंजर पड़े खेत हैं ।

Geeta Gairola
उत्तराखंड में पलायन त्रासदी बन गया है।सैकड़ों गांव खाली हो गए।गांव में सिर्फ हमारे देवता है या बंजर पड़े खेत हैं ।पूरे साल भर देवता जी को केवल लोग डर के मारे मन में याद करते हैं।देवता पूरे साल भर भक्त गणों की शक्ल देखने को तरस जाते हैं।देवताओं के पास कोइ फोन होंन भी नही होता ।अगर भक्तो की खुद भी लगे तो अपने एनालॉग सिस्टम के कारण मजबूर गांवों के नीचे जाने वाले रास्तों पर नजरें गढ़ाए रखने के सिवाय कुछ नहीं कर पाते। गर्मियों तक इंतजार ही देवताओं की नियति बन गया है।मई जून की किसी एक तिथि को देवताओं के भक्त गाड़ियों में भर कर गाँव आते है दिन भर पूजा करते हैं और शाम को वापिस अपने ठिकानो में चले जाते है।देवता महराज को एक दिन ही सभी भक्तों की शक्ल पूरे साल भर के लिए मन में रखनी होती है।शक्ल याद रहेगी तभी तो आशीर्वाद भी दे पायेगे वरना कंफ्यूजन होना स्वाभाविक है।इन्ही स्थितियों में यहाँ भा,ज,पा।की चुनी हुई सरकारें आयी।5 वर्षों में कई बार पलायन। पलायन का मन्त्र जपा गया।पर उत्तर प्रदेश जैसी सक्रियता नहीं दिखाई दी।ना ही किसी सांसद,विधायक ने गांव वार आंकड़े जमा किये। तो भाई ये सोचने का विषय है।


जियें तो ऐसे जियें जैसे तपती लू में खिले गुलमोहर

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