आज अपने आपदाग्रस्त गांव सिल्यारा में । हम सामुदायिकता के अनुयायी संकट में एकजुट हो जाते हैं । गांव के एक बालक ने पूछा - सिगरेट लाऊँ चाचा जी ? मैंने कहा- हुक्का निकाल अपने पिता का। और फिर मेरी चिलम भरता दिख रहा है एक सुयोग्य डॉक्टर । मेरे गांव का वासी ।
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