यदि मैं अपने संबोधन में किसी को पंडित जी; ठाकुर साब, सरदार जी, लाला जी कह रहा हूँ तो माफ़ करना, मैं आपको कतई सम्मानित नहीं कर रहा. ठीक उसी तरह जैसे किसी को तेल्ली या नाई कहने पर मैं अपमानित नहीं कर रहा होता. जाति- भारतीय परिस्थिति में एक निहायत ही मानवविरोधी विचार-व्यवहार है. मेरे नज़दीक इस प्रत्यय का कोई अस्तित्व नहीं. भारतीय संदर्भो में आपके नाम के पीछे शर्मा, वर्मा, सिंह लिखा हो या जाटव, आंबेडकर वाल्मिकी, खान, सिद्दीकी हो या सय्यद,कुरैशी. मुझे इन लफ्जों से सामान रूप से घिन्न आती है. जाति हो या धर्म, उनमे लिपटा आदमी अभी इंसान बना ही कहाँ हैं?
Let me speak human!All about humanity,Green and rights to sustain the Nature.It is live.
Friday, June 17, 2016
Shamshad Elahee Shams यदि मैं अपने संबोधन में किसी को पंडित जी; ठाकुर साब, सरदार जी, लाला जी कह रहा हूँ तो माफ़ करना, मैं आपको कतई सम्मानित नहीं कर रहा. ठीक उसी तरह जैसे किसी को तेल्ली या नाई कहने पर मैं अपमानित नहीं कर रहा होता. जाति- भारतीय परिस्थिति में एक निहायत ही मानवविरोधी विचार-व्यवहार है. मेरे नज़दीक इस प्रत्यय का कोई अस्तित्व नहीं. भारतीय संदर्भो में आपके नाम के पीछे शर्मा, वर्मा, सिंह लिखा हो या जाटव, आंबेडकर वाल्मिकी, खान, सिद्दीकी हो या सय्यद,कुरैशी. मुझे इन लफ्जों से सामान रूप से घिन्न आती है. जाति हो या धर्म, उनमे लिपटा आदमी अभी इंसान बना ही कहाँ हैं?
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