गुजरात के बारे में भी आपने पढ़ लिया होगा और यह रोज की सुर्खियां हैं। इससे पहले हमने ओड़ीशा और राजस्थान से ऐसी तस्वीरें निकलती देख चुके हैं।बिहार में क्रशर में पीसते हुए इंसान को देख चुके हैं।नागौर में दलित औरतों को ट्रैक्टर से कुचलना भी देखा है और मध्यभारत में आदिवासी भूगोल का सलवा जुड़ुम भी रोज रोज देख रहे हैं।
सत्तावर्चस्व का यह नजारा मुक्तबाजार है और हम फिरभी समानता और न्याय की गुहार लगाते हैं जबकि न लोकतंत्र कहीं है और न कनून का राज कहीं है।हालात बदलने की जिद न हुई तो कुछ भी न बदलेगा।
बहरहाल मशहूर पत्रकार दिलीप मंडल ने फेसबुक वाल पर लिखा हैः
इन दलित आंखों में
जो दर्द का समंदर है,
वह ब्राह्मणवाद को
बहा ले जाएगा.
जो दर्द का समंदर है,
वह ब्राह्मणवाद को
बहा ले जाएगा.
गुजरात के सोमनाथ के दलित. गोरक्षकों ने उनका यह हाल इसलिए किया है क्योंकि वे गाय की खाल उतारने का काम करते हैं. वही काम जो शास्त्रों में इनके लिए तय है. इन्हें नंगा कर गाड़ी में बांधकर पूरे शहर में घुमाया गया. लोहे की रॉड से पीटा गया.
RSS को शिकायत है कि हिंदू घट रहे हैं. ऐसे बढ़ेगा हिंदू धर्म?
मोहन भागवत बताएं कि हिंदू कौन हैं?
वे गोरक्षक तालीबान गुंडे या ये दलित.
जैसे उनने मुंबई में अंबेडकर भवन तोड़ दिया और तोड़ने वाले सत्ता शिखर को छूने लगे हैं।सारे राम हनुमान हैं और हमारे लोग वानरसेना में तब्दील।य़े हादसे फिर फिर होते ही रहेंगे।ङम हर तस्वीर के साथ उबलेंगे जरुर ,लेकिन फिर सत्ता से नत्थी होकर अपनी अपनी खाल बचाते रहेंगे।
पलाश विश्वास
Bhanwar Meghwanshi
मरे जानवरों की खाल क्यों उधेड़ते हो ? जिससे तुम्हें मार खानी पड़ती है.अब से यह काम छोड़ो और उन हरामजादों की खाल उधेड़ने लग जाओ.जिन्होंने तुम्हें ऐसा गंदा काम करने को मजबूर किया है.
ओह हम कौन से बर्बर युग में जी रहे हैं
ReplyDeleteओह हम कौन से बर्बर युग में जी रहे हैं
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