Rajiv Nayan Bahuguna Bahuguna
अपनी गंगोत्री और यमनोत्री यात्रा के लगभग एक सप्ताह उपरान्त मैं आज से मिनरल वाटर अर्थात बोतल बन्द बाज़ारू पानी को पीना बन्द कर रहा हूँ । मैं जिस प्रदेश में रहता हूँ , उसकी हर नदी और हर झरने का पानी नेचुरल मिनरल वाटर है , अगर उससे छेड़ छाड़ न की जाए । कोक पेप्सी मैं बहुत पहले छोड़ चुका । दुष्ट व्यापारी ने पानी जैसी प्रकृति की वरद सम्पदा को भी उपभोक्ता वस्तु बना डाला । पहले पानी को गन्दा किया , फिर गन्दे पानी से होने वाले रोगों का भय व्याप्त किया , और फिर पानी को बेचने लगा ।" राम - नाम " बैंक " आपने भी सुना होगा । अर्थात अमुक हज़ार या लाख बार राम नाम कागज़ में लिख या जप कर फायदा मिलेगा । यह भी बनियों की टर्म है । खाली बैठी लालाइन को व्यस्त रखने के वास्ते उसने यह बैंक ईज़ाद किया , जिसका प्रचार कथा वाचक बापू करता है । ठाली बैठी मोटी लालाइन राम नाम जपती रहती है, और नौकर रामू से कमर , पीठ दबवाती रहती है । ऐ धूर्त बनिए , तू भगवान को भी तिज़ोरी या बैंक लाकर में ठूसेगा ? राम नाम से भी ब्याज कमायेगा ? तुझे मुनाफे के सिवा कुछ सूझता भी है बे ? और जब राम नाम का बैंक बनाता है , तो उसमे भी काले और सफेद का हिसाब रखता है ? घटतौली और मिलावट भी करता है क्या राम नाम में ? धत्तेरे नराधम की ।

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