Tuesday, June 14, 2016

श्री राम को यह उपाधि इसलिए मिली कि उन्होंने ब्राह्मण परंपरा के विरोधियों का उन्मूलन किया, अग्नि परीक्षा में भी सतीत्व सिद्ध अपनी निरपराध जीवन संगिनी को उसकी परिपक्व गर्भावस्था में ही वन में निर्वासित कर दिया. यही नहीं पुरोहित वर्ग के निर्देशानुसार निर्दोष शूद्र तपस्वी शंबूक की भी हत्या की.

TaraChandra Tripathi
यह ’ मर्यादा पुरुषोत्तम’ भी हमारे भारत रत्न की तरह सत्ता पर हावी वर्ग की उपज था. पुरोहित वर्ग द्वारा निर्धारित मा्नकों के अनुसार चलने वाले राजाओं को ही यह उपाधि प्रदान की जाती थी. जो नरेश पुरोहित वर्ग की इच्छानुसार नहीं चलते थे उनकी राजा हरिश्चन्द्र की तरह दुर्दशा कर दी जाती थी. श्री राम को यह उपाधि इसलिए मिली कि उन्होंने ब्राह्मण परंपरा के विरोधियों का उन्मूलन किया, अग्नि परीक्षा में भी सतीत्व सिद्ध अपनी निरपराध जीवन संगिनी को उसकी परिपक्व गर्भावस्था में ही वन में निर्वासित कर दिया. यही नहीं पुरोहित वर्ग के निर्देशानुसार निर्दोष शूद्र तपस्वी शंबूक की भी हत्या की.
भवभूति के उत्तर रामचरित में लक्ष्मण द्वारा राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहे जाने कुश, राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहे जाने पर आपत्ति करता है. वह कहता है कि जो स्त्री (ताड़्का) का वध करे, उसके (सूर्पनखा) अंगभंग में सहायक हो, अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए किसी व्यक्ति (बालि)पर छिप कर वार करे और युद्ध में पीछे हटे ( खर-दूषण और त्रिशिरा के अकस्मात सामने आ जाने पर उन पर तीर चलाने के लिए राम को पीछे हटना पड़ा था) वह मर्यादा पुरुषोत्तम है?
राम हों या दुष्यन्त सभी अपनी परित्यक्त पत्नी और उसकी संतान को तभी अपनाते हुए नजर आते हैं, जब उनके कोई और सन्तान नहीं होती. ऐसे राजाओं को निर्दोष सिद्ध करने के लिए कभी दुर्वासा के प्रतीक का सहारा लिया जाता है या उसके (सीता के) धरती में समा जाने की कथा गढ़ दी जाती है.
आज भी ऐसे भगवान राम प्राय: निर्वाचन आयोग में प्रस्तुत किये जाने वाले शपथ पत्र में या तो उसको गोल कर जाते हैं और विरोधियों द्वारा हायतोबा मचाये जाने पर उसका उल्लेख करने पर विवश होते हैं. उनके राजा बन जाने पर भी बेचारी सीता तो परित्यक्ता ही रहती है लेकिन उसकी सुरक्षा के नाम पर कमांडो का बवाल और लग जाता है..

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