आज वीरांगना रानी दुर्गावती का बलिदान दिवस है।
रानी दुर्गावती का जन्म 5 अक्टूबर सन् 1524 को महोबा में हुआ था।रानी दुर्गावती सुन्दर,सुशील विनम्र योग्य एवम् सहसी लड़की थी। बचपन में ही उसे वीरता पूर्ण एवं साहस भरी कहानियां सुनना व् पढ़ना अच्छा लगता था। इनका विवाह गढमण्डल के गोंड राज दलपत शाह के साथ हुआ था। दलपत शाह की मृत्यु के बाद उनका पुत्र वीर नारायण गद्दी पर बैठा। रानी दुर्गावती उसकी संरक्षिका बनी और राज काज स्वम देखने लगी । वे सदैव प्रजा के दुःख सुख का ध्यान रखती थी। उनका योगदान गोंडवाना राज्य को शक्तिशाली एवम् सम्पन्न बनाने में होता है।उन्होंने सदैव आदिवासियों की एकता व् अखण्डता को बनाये रखा।रानी दुर्गावती ने लगभग 16 वर्षों तक संरक्षिका के रूप में शासन किया। भारत के इतिहास में रानी दुर्गावती और चंदबीबी ऐसी वीर महिलाएं थी जिन्होंने अकबर की शक्तिशाली सेना का सामना किया तथा मुगलों के राज्य विस्तार को रोका अकबर ने अपने शासन काल में बहुत सी लड़ाईयां लड़ी किन्तु गढ़मंडल के युद्ध में मुगल सम्राट के दांत खट्टे कर दिए। रानी दुर्गावती में अनेक गुण थे।वीर और साहसी होंने के साथ ही वे त्याग और ममता की मूर्ति थी। राज घराने में रहते हुए भी उन्होंने बहुत सादा जीवन व्यतीत किया।राज्य के कार्य देखने के बाद वे अपना समय प्रजा पालन और धार्मिक कार्यों में व्यतीत करती थी। आदिवासी नारी की वीरता तथा बलिदान की यहा घटना अमर रहेगी।
जय सेवा, जय गोंडवाना, जय भीम।
साभार- Ramdev Jurri
रानी दुर्गावती का जन्म 5 अक्टूबर सन् 1524 को महोबा में हुआ था।रानी दुर्गावती सुन्दर,सुशील विनम्र योग्य एवम् सहसी लड़की थी। बचपन में ही उसे वीरता पूर्ण एवं साहस भरी कहानियां सुनना व् पढ़ना अच्छा लगता था। इनका विवाह गढमण्डल के गोंड राज दलपत शाह के साथ हुआ था। दलपत शाह की मृत्यु के बाद उनका पुत्र वीर नारायण गद्दी पर बैठा। रानी दुर्गावती उसकी संरक्षिका बनी और राज काज स्वम देखने लगी । वे सदैव प्रजा के दुःख सुख का ध्यान रखती थी। उनका योगदान गोंडवाना राज्य को शक्तिशाली एवम् सम्पन्न बनाने में होता है।उन्होंने सदैव आदिवासियों की एकता व् अखण्डता को बनाये रखा।रानी दुर्गावती ने लगभग 16 वर्षों तक संरक्षिका के रूप में शासन किया। भारत के इतिहास में रानी दुर्गावती और चंदबीबी ऐसी वीर महिलाएं थी जिन्होंने अकबर की शक्तिशाली सेना का सामना किया तथा मुगलों के राज्य विस्तार को रोका अकबर ने अपने शासन काल में बहुत सी लड़ाईयां लड़ी किन्तु गढ़मंडल के युद्ध में मुगल सम्राट के दांत खट्टे कर दिए। रानी दुर्गावती में अनेक गुण थे।वीर और साहसी होंने के साथ ही वे त्याग और ममता की मूर्ति थी। राज घराने में रहते हुए भी उन्होंने बहुत सादा जीवन व्यतीत किया।राज्य के कार्य देखने के बाद वे अपना समय प्रजा पालन और धार्मिक कार्यों में व्यतीत करती थी। आदिवासी नारी की वीरता तथा बलिदान की यहा घटना अमर रहेगी।
जय सेवा, जय गोंडवाना, जय भीम।
साभार- Ramdev Jurri
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