Tuesday, June 21, 2016

सतीश जमाली पठानकोट के रहने वाले थे। अभी पन्द्रह दिन पहले ही वे अपने छोटे भाई से मिलने पठानकोट गए थे। वहाँ ठोकर लगी और गिर पड़े। इलाज के लिए उन्हें दिल्ली लाया गया। पिछले चार दिन से कोमा में थे, आज सुबह सवेरे चल बसे।

शुरू में अकविता और अकहानी आन्दोलन से जुड़े और बाद में कमलेश्वर के समानान्तर कहानी आन्दोलन के एक अद्वितीय अनूठे कथाकार, श्रीपत राय की ’कहानी’ और ’नई कहानियाँ’ पत्रिकाओं के उपसम्पादक सतीश स्याल उर्फ़ सतीश जमाली का आज 77 वर्ष की उम्र में आज दिल्ली में आल इण्डिया इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज में देहावसान हो गया। उन्हें हार्दिक श्रद्धांजलि। नई पीढ़ी के लेखक और कवि तो शायद उन्हें जानते भी न होंगे। पंजाबी मूल के हिन्दी लेखकों में मोहन राकेश, उपेन्द्रनाथ अश्क, रवीन्द्र कालिया, कृष्णा सोबती, भीष्म साहनी, रमेश बत्तरा जैसे लेखकों के साथ-साथ सतीश जमाली का नाम भी आता है। सतीश जमाली पठानकोट के रहने वाले थे। अभी पन्द्रह दिन पहले ही वे अपने छोटे भाई से मिलने पठानकोट गए थे। वहाँ ठोकर लगी और गिर पड़े। इलाज के लिए उन्हें दिल्ली लाया गया। पिछले चार दिन से कोमा में थे, आज सुबह सवेरे चल बसे। तस्वीरों के मेरे विशाल संग्रह में भी उनकी कोई तस्वीर नहीं मिली। उनकी यह तस्वीर भाई कुँवर रवीन्द्र के सहयोग से मिली है।
‘प्रतिबद्ध’, ‘थके-हारे’, ‘छप्पर टोला’ तथा ‘तीसरी दुनिया’ उनके प्रसिद्ध उपन्यास हैं। उनके कहानी-संग्रहों के नाम हैं -- ‘जंग जारी’, ‘नागरिक’, ‘बच्चे तथा अन्य कहानियां’, ‘ठाकुर संवाद’ और ‘प्रथम पुरुष’।

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