Himanshu Kumar
एसआइटी कोर्ट के जज साहब नें गुजरात दंगों के दौरान अहमदाबाद की गुलबर्ग सोसाइटी जनसंहार पर अपना फैसला दिया है
जज साहब नें अपने फैसले में कहा है कि मारे गये सांसद अहसान जाफरी नें अपनी लाइसेंसी बन्दूक से गोली चला कर भीड़ को भड़का दिया था जिसके कारण ६९ लोग मारे गये
जज नें पीड़ित को ही गुनहगार घोषित कर दिया
सब जानते हैं कि गोधरा में भाजपा ने ट्रेन में आग लगवाई
उसके बाद ट्रेन में मारे गये लोगों की लाशों के साथ सारे राज्य में जलूस निकाले गये
उसके बाद भाजपा , संध और विहिप के नेताओं की देखरेख में भीड़ इकट्ठी कर के मुस्लिम बस्तियों और दुकानों पर हमले किये गये
इन दंगों में करीब दो हज़ार लोगों का कत्ल किया गया
पहली बार किसी कोर्ट नें हिंसक भीड़ का पक्ष लिया है
आज तक सभी मानते हैं कि भीड़ लोकतन्त्र की दुश्मन है
लोकतन्त्र समझदार नागरिकों से चलता है
भीड़ ही हिंसक सम्प्रदायिक संगठनों की ताकत होती है
भीड नें ब्रूनो को जिंदा जला दिया था क्योंकि उसने सत्य कहा था कि पृथ्वी सूर्य के चारों तरफ घूमती है
लेकिन बाइबल कहती थी कि सूर्य पृथ्वी का चक्कर काटता है
लेकिन बाइबल कहती थी कि सूर्य पृथ्वी का चक्कर काटता है
धर्माध भीड़ ने लकड़ी के लट्ठे पर बांध कर ब्रूनों को ज़िदा भूना
इसलिये कानून अदालत सभी भीड़ के न्याय को फटकारती हैं
लेकिन भाजपा के सत्ता में आने के बाद तो भारत में पागलपन का दौरा ही पड़ा हुआ है
पहली बार किसी अदालत नें भीड़ के प्रति सहानुभूति दिखाई है
अगर जज , पुलिस और नेता हिन्दु की तरह सोचने लगेंगे तो इस देश को कैसे एक रखा जा सकेगा ?
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