Tuesday, June 21, 2016

पिछड़ा बनाने वालों से, पीछा छुड़ाने के लिए लड़ने की जरुरत Indresh Maikhuri

पिछड़ा बनाने वालों से, पीछा छुड़ाने के लिए लड़ने की जरुरत 
Indresh Maikhuri
अखबारों में खबर है कि धनोल्टी से भाजपाई विधायक महावीर रांगड़ ने अपने क्षेत्र को पिछड़ा घोषित किये जाने के लिए जुलूस निकाला,थौलधार ब्लाक के कुछ गाँवों और भिलंगना ब्लाक को भी पिछड़ा घोषित किये जाने की मांग के अन्य समाचार भी अखबारों में हैं.अभी कुछ दिन पहले गोपेश्वर में मुख्यमंत्री हरीश रावत के करीबी बताये जाने वाले एक नेता ने भी चमोली जिले को पिछड़ा घोषित करने की मांग की.साल,दो साल पहले जोशीमठ,थराली आदि क्षेत्रों तथा रुद्रप्रयाग जिले में स्वयं को पिछड़ा घोषित करने की मांग उठती रही है.इस बार इस मांग के सिर उठाने के पीछे प्रतापनगर क्षेत्र के फिक्वाल समुदाय को राज्य सरकार द्वारा पिछड़ा घोषित किया जाना है.
यह अपने-अपने क्षेत्रों को पिछड़ा घोषित करवाने की लड़ाई बड़ी विचित्र है.उत्तराखंड राज्य की लड़ाई इसलिए लड़ी गयी कि अपना राज्य बनेगा तो यहाँ के अनुकूल नीतियां बनेगी और हमारा पिछड़ापन दूर होगा.राज्य तो बन गया.लेकिन राज्य बनने के एक-डेढ़ दशक बाद विभिन्न क्षेत्रों में स्वयं को पिछड़ा घोषित करवाने की मांगें गाहे-बगाहे उठ रही हैं.रोचक बात यह है कि अधिकांशतः ये मांग उठाने वाले कांग्रेस-भाजपा के ही लोग होते हैं.यानि जिन्होंने बारी-बारी राज किया वे स्वास्थ्य,शिक्षा,सडक,बिजली,पानी,रोजगार आदि तो उपलब्ध करवा नहीं सके तो अब लोगों को पिछड़े क्षेत्र का झुनझुना दे कर भरमा रहे हैं. जो राज्य लोगों का पिछड़ापन दूर करने के लिए बना था,उसमे राजनीतिक जीत अपने इलाके को पिछड़ेपन से मुक्त कराने में नहीं बल्कि इलाके को पिछड़ा घोषित करवाने में नजर आने लगे तो यह विडम्बना ही कही जायेगी.दुनिया में लड़ाई इस बात की है कि कौन कितना विकसित हो सकता है,कौन कितना आगे बढ़ सकता है.उत्तराखंड में लड़ाई इस बात के लिए लड़ी जा रही है कि हम पिछड़े थे,हैं,रहेंगे.हमें पिछड़ेपन से न उबारो,बस इतना कर दो कि हमारे गली,मोहल्ले,गाँव,क्षेत्र,जिले को पिछड़ा घोषित कर दो ! कांग्रेस-भाजपा मार्का राजनीति ये हमें किस दिशा में ले जा रही है कि हम पिछड़ेपन से मुक्त नहीं होना चाहते हैं बल्कि पिछड़े घोषित होना चाहते हैं ? यह कैसी उलटबांसी है कि जिन्होंने हमे सत्ता में रहते हुए पिछड़ेपन से उबारना था,वे हमें पिछड़ा घोषित करवा कर हमारे मसीहा बनाना चाहते हैं !
कोई कुछ भी झुनझुना थमाए,लेकिन ये याद रखिये कि पिछड़ा घोषित हो कर आज तक कोई अगड़ा नहीं हुआ है.आगे बढ़ने की अनिवार्य शर्त पिछड़ा घोषित होना नहीं बल्कि दूरदृष्टि है,बेहतर नियोजन है.जो आपको पिछड़ा घोषित होने में तरक्की दिखा रहा है,वह दरअसल आपको पिछड़ेपन के अँधेरे में रख कर, तमाम खुशहाली और तरक्की सिर्फ अपने ही घर में भर लेना चाहता है.पिछड़ा घोषित होने के लिए नहीं, पिछड़ा बनाए रखने की राजनीति से पीछा छुड़ाने के लिए लड़ने की जरुरत है.

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