Sunday, June 19, 2016

Ranjit Verma · इनके बीच से जिनके बारे में प्रचार किया जाता है कि वे विद्वान हैं दरअसल वे भी मूर्ख ही होते हैं। वहां से कोई एक भी समझदार आदमी लाकर दिखला दे मैं जिंदगी दांव पर लगाने को तैयार हूं। ये साहित्य को लिबरेट करने की बात करते हैं इन्हें यह भी नहीं पता कि साहित्य जंजीरों, मूल्कों और हुकूमतों की बंदिशों, गुलामी और शोषण से लोगों को लिबरेट करने की लड़ाई है। यह सतत वाम है। यहां कमल के फूल नहीं खिलते। यहां से हमेशा जंजीरें काटने की आवाज सुनाई देगी चाहे जाति की चाहे दमन की। मुक्ति की सारी लड़ाइयां यहीं सबसे पहले लड़ी जाती है।

इनके बीच से जिनके बारे में प्रचार किया जाता है कि वे विद्वान हैं दरअसल वे भी मूर्ख ही होते हैं। वहां से कोई एक भी समझदार आदमी लाकर दिखला दे मैं जिंदगी दांव पर लगाने को तैयार हूं। ये साहित्य को लिबरेट करने की बात करते हैं इन्हें यह भी नहीं पता कि साहित्य जंजीरों, मूल्कों और हुकूमतों की बंदिशों, गुलामी और शोषण से लोगों को लिबरेट करने की लड़ाई है। यह सतत वाम है। यहां कमल के फूल नहीं खिलते। यहां से हमेशा जंजीरें काटने की आवाज सुनाई देगी चाहे जाति की चाहे दमन की। मुक्ति की सारी लड़ाइयां यहीं सबसे पहले लड़ी जाती है।

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