Urmilesh Urmil कमाल के 'देशभगत' हैं. देश की सुरक्षा का सबसे संवदेनशील क्षेत्र भी अब विदेशियों के लिये १०० फीसदी खोल दिया.
कमाल के 'देशभगत' हैं. देश की सुरक्षा का सबसे संवदेनशील क्षेत्र भी अब विदेशियों के लिये १०० फीसदी खोल दिया. कोई रोक-टोक नहीं. विदेशी का मतलब समझिये-'अमेरिका और NATO के देश'. इन देशों की हथियार बनाने वाली बड़ी बड़ी अनेक कंपनियां 'मांग' के अभाव में खस्ताहाल थीं. शायद, अब इन्हें एशिया में निवेश, उत्पादन और मुनाफे का नया अड्डा मिले. इस अड्डे के जरिये वे अपना राजनीतिक और रणनीतिक मकसद भी पूरे करने की कोशिश करेंगी. यहां तो वैसे भी दलाली क्षेत्र में पैसे के भूखे-खूंखारों की कमी नहीं है. नोटों की छोटी छोटी गड्डियों के लिये वे अपना ईमान बेचते हैं. और ऐसा करते हुए वे इसे अपना बिजनेस बताते हैं.. कहां हो 'देशभगतों' के ज्यादा 'स्वदेशी भाई-बंधुओं'? स्वदेशी के नाम पर 'जागरण मंच' तक बना रखा है! कहां सो रहे हो, भाई, जागो, जागो, अगर अब भी होश में हो! खैर, आपका जागना भी एक दिखावा ही होगा. जागना तो जनता को होगा, जो कमरतोड़ मंहगाई, पढ़ाई, दवाई, हर मोचे॓ पर बेहाल है. योगा, एनएसजी, एफडीआई और कैराना से उसे भरमाने और भटकाने की कोशिश हो रही है.
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