कृषि और गांव को सर्वोच्च प्राथमिकता का मतलब या सलवा जुड़ुम है या फिर आफसा।
श्री श्री जलवे की छांव में बजट युद्ध में जनता हारी और लंपट,अय्याश भूत के लंगोट में टंगे हम चूमाचाटी के दर्शक आध्यात्मिक।
पलाश विश्वास
हिमांशु कुमार जी का स्टेटसःसोनी सोरी के बहनोई अजय की बुरी तरह पिटाई करी है ၊ जगदलपुर की सिटी एसपी दीपमाला, बीजापुर का एसपी और सुकमा का एसपी शामिल थे!
सोनी सोरी के बहनोई अजय को पुलिस ने कल रात को छोड़ दिया ၊ अजय को पुलिस नें दो दिन गैरकानूनी हिरासत में रखा ၊ इस दौरान पुलिस ने अजय की बुरी तरह पिटाई करी है ၊ अजय को पीटने वालों में जगदलपुर की सिटी एसपी दीपमाला , बीजापुर का एसपी और सुकमा का एसपी शामिल थे ၊ ये तीनों अधिकारी चाहते थे कि अजय यह स्वीकार कर ले कि सोनी सोरी के चेहरे पर हमला अजय नें लिंगा कोड़ोपी और एक अन्य युवक के साथ मिल कर किया था ၊
पुलिस नें फिलहाल सोनी की छोटी बहन को छोड़ दिया है ၊ लेकिन उसे घमकी दी है कि उसे वे कल फिर ले जायेंगे ၊ पुलिस सोनी के पूरे परिवार को डराना चाहती है ताकि सोनी सरकार के आदिवासियों पर किये जाने वाले जुल्मों के खिलाफ आवाज़ उठाना बन्द कर दे ၊
श्री श्री आध्यात्म और माल्या के ठाठ बाट पलायन,संघी गणवेश इत्यादि के केसरिया राष्ट्रबाद में निष्णात मीडिया ने मुद्दों को बखूब भटकाया है इस कदर कि लाखों करोड़ की जिन परियोजनाओं को लेकर नीतिगत विकलांगता के आरोप में नवउदारवाद के मुक्तबाजारी राजसूय के यज्ञ अधिपति खेत हो गये,वे सारी परियोजनाएं सलवा जुड़ुम और आफसा के मार्फत मनसेंटो क्रांति के बुलुट से मेकिंग इन सत्यानाश का चात चौबंद इंतजाम हेतु हरी झंडी है।
मल्टी ब्रांड खुदरा शत प्रतिशत एफडीआी की जिद पूरी हुई और भारत अब परमाणु चूल्हों से लेकर परमाणु रासायनिक हथियारों का अनंत बाजार है।टैक्स सुधार के तहत अरबपतियों के खुली छूट है।
कारपोरेट लूट है।
मंडल कमंडल महाभारत में अपनी अपनी पहचान में कैद लोग बीमा के बाद पेंशन और पीएफ को बी बाजार में जाना मंजूर कर चुके है पीएफ पर टैक्स रोल बैक का जश्न मनाते हुए।
किसानों के बाद बनियों के सत्यानाश के लिए ईकामर्स के लिए सब्सिडी और जनती की निगरानी के लिए नगद सब्सिडी के बहाने आधार निराधार सर्व सहमति से कानून बनने को तैयार सुप्रीम कोर्ट की खुली अवमानना के बाद।
निर्माण में एकाधिकार पूंजी की घुसपैठ का भी इंतजाम हो गया घर दिलाने के बहाने और स्टार्टअप में तीन साल तक टैक्स नहीं के ऐलान के साथ पुराना सारा कर्ज अरबपतियों के लिए माफ और हम लोग एक अय्याश भूत के लंगोट से लटक गये।
बजट पर चर्चा न हो तो आध्यात्म,वेदपाठ के साथ साथ सार्वजनिक प्रेम वैलेंटाइन का शास्त्रीय मुक्त बाजार मले में राजनीतिक साझा चुल्हा सुलगाया गया कि बजट पर चर्चा होइबे ना करें।
अब मीडिया तय करता है कि हम किस पर सोचे,किस पर बहस करें,किस मुद्दे को लेकर बवाल काटे,किसके खिलाफ फतवा दें,किसे जनादेश दें और किस किस की सुपारी चलें और बुनियादी सारे मुद्दे गायब हो जाये।जबकि अभिव्यक्ति पर कड़ा पहरा है और मौलिक अधिकारोंं की चर्चा देशद्रोह है।
आंदोलन जमीन पर नहीं है ।मीडिया की खबरों में आंदोलन हैं।
खबरों से शुभारंभ और खबरों से अवसान।
अंतहीन बाइट और बेइंतहा धोखाधड़ी क्योंकि हम उनकी राजनीति और उनके आर्थिक एजंडे को समझने की कोशिश ही नहीं करते और हमारे मुद्दे हवा के रुख के साथ सात बदल जाते हैं।
सतह पर हम मेंढक की तरह फुदक रहे हैं अपने अपने कुएं में।बात करते हैं देश दुनिया की और न देश का भूगोल मालूम है और दुनिया का इतिहास।
अपने लोक,अपनी विरासत और अपनी जमीन से कटे कबंधों की न कोई राजनीति होती है और न उनकी अर्थव्यवस्था होती है और मौत की घाटी में तब्दील होता है उनका देश महादेश,जिसमें तमाम बनैले सूअर और सांढ़ एकमुस्त गली मोहल्ले में नंगा नाचें तोहम मान लेते हैं आजादी है,लोकतंत्र का छीछी चैनल है।
वातानुकूलित विद्रोह से जमीन के हालात नहीं बदलेंगे और न कत्लेआम का सिलसिला रुकेगा क्योंकि हर राजनीतिक फैसले से देश बिक रहा है और कातिलो की तलवारे रक्तस्नान कर रही हैं।
अश्वमेधी घोड़ों की खुरों में टंगी हैं तलवारें और नागिरक अब वानरों की फौज हैं।रंग बिरंगे भांति भांति के वानर हैं और जो लोग न राजनीति समझ रहे हैं और न अर्थशास्त्र जड़ोंसे कटे सत्ता के गुलाम खच्चरों और गधों से हम उम्मीद लगाये बैठे हैं कि उनकी कटी हुई जुबान में इंक्लाब के नारे गुंजेंगे।
शुतुरमुर्गों से रेत की आंधियों की मुकाबला की अपेक्षा करते हैं।
अधंरे के सारे जीव जंतु रोशनी का गला घोंट रहे हैं और हर भोर का गर्भपात हो रहा है और हम सिर्फ रीढ़हीन प्रजाति में तब्दील हैं जिनमें मनुष्यता सिर्फ एक जैविकी पहचान है।
कृषि और गांव को सर्वोच्च प्राथमिकता का मतलब या सलवा जुड़ुम है या फिर आफसा।
इसी सिलसिले में गांधीवादी कार्यकर्ता हिमांशु कुमार जी का यह ताजा स्टेटसः
--
Pl see my blogs;
http://ambedkaractions.blogspot.in/
http://palashscape.blogspot.in/
Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!
श्री श्री जलवे की छांव में बजट युद्ध में जनता हारी और लंपट,अय्याश भूत के लंगोट में टंगे हम चूमाचाटी के दर्शक आध्यात्मिक।
इस देश में सोनी सोरी होना सबसे मुश्किल काम है!
हिमांशु कुमार जी का स्टेटसःसोनी सोरी के बहनोई अजय की बुरी तरह पिटाई करी है ၊ जगदलपुर की सिटी एसपी दीपमाला, बीजापुर का एसपी और सुकमा का एसपी शामिल थे!
सोनी सोरी के बहनोई अजय को पुलिस ने कल रात को छोड़ दिया ၊ अजय को पुलिस नें दो दिन गैरकानूनी हिरासत में रखा ၊ इस दौरान पुलिस ने अजय की बुरी तरह पिटाई करी है ၊ अजय को पीटने वालों में जगदलपुर की सिटी एसपी दीपमाला , बीजापुर का एसपी और सुकमा का एसपी शामिल थे ၊ ये तीनों अधिकारी चाहते थे कि अजय यह स्वीकार कर ले कि सोनी सोरी के चेहरे पर हमला अजय नें लिंगा कोड़ोपी और एक अन्य युवक के साथ मिल कर किया था ၊
पुलिस नें फिलहाल सोनी की छोटी बहन को छोड़ दिया है ၊ लेकिन उसे घमकी दी है कि उसे वे कल फिर ले जायेंगे ၊ पुलिस सोनी के पूरे परिवार को डराना चाहती है ताकि सोनी सरकार के आदिवासियों पर किये जाने वाले जुल्मों के खिलाफ आवाज़ उठाना बन्द कर दे ၊
श्री श्री आध्यात्म और माल्या के ठाठ बाट पलायन,संघी गणवेश इत्यादि के केसरिया राष्ट्रबाद में निष्णात मीडिया ने मुद्दों को बखूब भटकाया है इस कदर कि लाखों करोड़ की जिन परियोजनाओं को लेकर नीतिगत विकलांगता के आरोप में नवउदारवाद के मुक्तबाजारी राजसूय के यज्ञ अधिपति खेत हो गये,वे सारी परियोजनाएं सलवा जुड़ुम और आफसा के मार्फत मनसेंटो क्रांति के बुलुट से मेकिंग इन सत्यानाश का चात चौबंद इंतजाम हेतु हरी झंडी है।
मल्टी ब्रांड खुदरा शत प्रतिशत एफडीआी की जिद पूरी हुई और भारत अब परमाणु चूल्हों से लेकर परमाणु रासायनिक हथियारों का अनंत बाजार है।टैक्स सुधार के तहत अरबपतियों के खुली छूट है।
कारपोरेट लूट है।
मंडल कमंडल महाभारत में अपनी अपनी पहचान में कैद लोग बीमा के बाद पेंशन और पीएफ को बी बाजार में जाना मंजूर कर चुके है पीएफ पर टैक्स रोल बैक का जश्न मनाते हुए।
किसानों के बाद बनियों के सत्यानाश के लिए ईकामर्स के लिए सब्सिडी और जनती की निगरानी के लिए नगद सब्सिडी के बहाने आधार निराधार सर्व सहमति से कानून बनने को तैयार सुप्रीम कोर्ट की खुली अवमानना के बाद।
निर्माण में एकाधिकार पूंजी की घुसपैठ का भी इंतजाम हो गया घर दिलाने के बहाने और स्टार्टअप में तीन साल तक टैक्स नहीं के ऐलान के साथ पुराना सारा कर्ज अरबपतियों के लिए माफ और हम लोग एक अय्याश भूत के लंगोट से लटक गये।
बजट पर चर्चा न हो तो आध्यात्म,वेदपाठ के साथ साथ सार्वजनिक प्रेम वैलेंटाइन का शास्त्रीय मुक्त बाजार मले में राजनीतिक साझा चुल्हा सुलगाया गया कि बजट पर चर्चा होइबे ना करें।
अब मीडिया तय करता है कि हम किस पर सोचे,किस पर बहस करें,किस मुद्दे को लेकर बवाल काटे,किसके खिलाफ फतवा दें,किसे जनादेश दें और किस किस की सुपारी चलें और बुनियादी सारे मुद्दे गायब हो जाये।जबकि अभिव्यक्ति पर कड़ा पहरा है और मौलिक अधिकारोंं की चर्चा देशद्रोह है।
आंदोलन जमीन पर नहीं है ।मीडिया की खबरों में आंदोलन हैं।
खबरों से शुभारंभ और खबरों से अवसान।
अंतहीन बाइट और बेइंतहा धोखाधड़ी क्योंकि हम उनकी राजनीति और उनके आर्थिक एजंडे को समझने की कोशिश ही नहीं करते और हमारे मुद्दे हवा के रुख के साथ सात बदल जाते हैं।
सतह पर हम मेंढक की तरह फुदक रहे हैं अपने अपने कुएं में।बात करते हैं देश दुनिया की और न देश का भूगोल मालूम है और दुनिया का इतिहास।
अपने लोक,अपनी विरासत और अपनी जमीन से कटे कबंधों की न कोई राजनीति होती है और न उनकी अर्थव्यवस्था होती है और मौत की घाटी में तब्दील होता है उनका देश महादेश,जिसमें तमाम बनैले सूअर और सांढ़ एकमुस्त गली मोहल्ले में नंगा नाचें तोहम मान लेते हैं आजादी है,लोकतंत्र का छीछी चैनल है।
वातानुकूलित विद्रोह से जमीन के हालात नहीं बदलेंगे और न कत्लेआम का सिलसिला रुकेगा क्योंकि हर राजनीतिक फैसले से देश बिक रहा है और कातिलो की तलवारे रक्तस्नान कर रही हैं।
अश्वमेधी घोड़ों की खुरों में टंगी हैं तलवारें और नागिरक अब वानरों की फौज हैं।रंग बिरंगे भांति भांति के वानर हैं और जो लोग न राजनीति समझ रहे हैं और न अर्थशास्त्र जड़ोंसे कटे सत्ता के गुलाम खच्चरों और गधों से हम उम्मीद लगाये बैठे हैं कि उनकी कटी हुई जुबान में इंक्लाब के नारे गुंजेंगे।
शुतुरमुर्गों से रेत की आंधियों की मुकाबला की अपेक्षा करते हैं।
अधंरे के सारे जीव जंतु रोशनी का गला घोंट रहे हैं और हर भोर का गर्भपात हो रहा है और हम सिर्फ रीढ़हीन प्रजाति में तब्दील हैं जिनमें मनुष्यता सिर्फ एक जैविकी पहचान है।
कृषि और गांव को सर्वोच्च प्राथमिकता का मतलब या सलवा जुड़ुम है या फिर आफसा।
इसी सिलसिले में गांधीवादी कार्यकर्ता हिमांशु कुमार जी का यह ताजा स्टेटसः
आज एक कानून की पढ़ाई पढ़ने वाली युवती से बातचीत हुई . उसने कहा कि सभी सिपाही थोड़े ही खराब होते हैं . अच्छे भी होते हैं .
मैंने कहा कि सवाल खराब सिपाही और अच्छे सिपाही का नहीं है .
सवाल है सिपाही और सेना ही खराब है .
हम उसका समर्थन नहीं कर सकते .
बात चूंकी छत्तीसगढ़ के संदर्भ में हो रही थी .
इसलिए मैंने पूछा अभी अभी बड़े पैमाने पर सिपाहियों द्वारा आदिवासी महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार किये गए .
उस समय अच्छे वाले सिपाही कहाँ चले गए थे ?
सोनी सोरी के गुप्तांगों में पत्थर भरते समय अच्छे सिपाही कहाँ चले गए थे .
छत्तीसगढ़ में सिपाहियों नें साढ़े छह सौ गाँव जला दिए .
इस में सरकार को दो साल लगे .
तब सारे अच्छे सिपाही कहाँ चले गए थे ?
आज सोनी सोरी के साथ रोज़ अत्याचार किया जा रहा है .
क्या छत्तीसगढ़ पुलिस में एक भी अच्छा अधिकारी नहीं है जो कह सके कि मैं भ्रष्ट और क्रूर आईजी कल्लूरी को इस तरह कानून और संविधान की धज्जियां नहीं उड़ाने दूंगा ?
सेना और पुलिस का निर्माण ही व्यापारियों और धनियों की धन की रक्षा के लिए किया गया था .
सीमा पर सेना इसलिए खड़ी हुई है कि गरीब बंगलादेशी भारत में आकर यहाँ के संसाधनों के ऊपर ना जीने लगें
अमेरिका की सीमा की रक्षा इसलिए करी जाती है ताकि दुनिया के गरीब अमेरिका में घुस कर वहाँ की अमीरी में हिस्सा ना बाँट लें .
सेनाएं अमीरों को रोकने के लिए नहीं खड़ी हैं .
अमीर तो हवाई जहाज़ में बैठ कर ठाठ से घुसता है .
अदाणी और मोदी बिना वीजा के पाकिस्तान में घुसे तो कौन सी सेना नें रोक लिया .
कोई गरीब इस तरह घुसकर दिखा दे .
सेना के सिपाही जब बलात्कार करते हैं तो उन् सिपाहियों को बचाने के लिए सरकार वकील खड़े करती है .
सरकार कभी पीड़ित महिला की तरफ से मुकदमा नहीं लड़ती .
ऊधम सिंह ने जलियाँवाला बाग़ के हत्यारे पर आज के ही दिन चलाई थी गोली
--------------------------------------------------------------------------------------------
4 जून 1940 को हिन्दू, मुस्लिम और सिख एकता की नींव रखने वाले 'ऊधम सिंह उर्फ राम मोहम्मद आज़ाद सिंह' को डायर की हत्या का दोषी ठहराया गया और 31 जुलाई 1940 को उन्हें 'पेंटनविले जेल' में फाँसी दे दी गयी। इस प्रकार यह क्रांतिकारी भारतीय स्वाधीनता संग्राम के इतिहास में अमर हो गया। 31 जुलाई 1974 को ब्रिटेन ने उनके अवशेष भारत को सौंप दिए थे। ऊधमसिंह की अस्थियाँ सम्मान सहित भारत लायी गईं। उनके गाँव में उनकी समाधि बनी हुई है। जाँबाज वीर को शत शत नमन l
--------------------------------------------------------------------------------------------
4 जून 1940 को हिन्दू, मुस्लिम और सिख एकता की नींव रखने वाले 'ऊधम सिंह उर्फ राम मोहम्मद आज़ाद सिंह' को डायर की हत्या का दोषी ठहराया गया और 31 जुलाई 1940 को उन्हें 'पेंटनविले जेल' में फाँसी दे दी गयी। इस प्रकार यह क्रांतिकारी भारतीय स्वाधीनता संग्राम के इतिहास में अमर हो गया। 31 जुलाई 1974 को ब्रिटेन ने उनके अवशेष भारत को सौंप दिए थे। ऊधमसिंह की अस्थियाँ सम्मान सहित भारत लायी गईं। उनके गाँव में उनकी समाधि बनी हुई है। जाँबाज वीर को शत शत नमन l
Pl see my blogs;
http://ambedkaractions.blogspot.in/
http://palashscape.blogspot.in/
Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!
No comments:
Post a Comment