समकालीन जनमत
जून 2016
जून 2016
पहला पन्ना
आवरण कथा
सरकारी सूखे की मार
बुंदेलखंड: अभाव और दरिद्रता का साम्राज्य- अरविंद राज स्वरूप
किसानों के लिए सूखा- पूंजीपतियों-नेताओं के लिए अवसर- विष्णु प्रभाकर
आप एक गहन जलसंकट में हैं: पी. साईनाथ- स्क्रोल संवाददाता
फांस: किसान आत्महत्याओं के कारकों की पड़ताल- रणेंद्र
सामयिकी
मोदी सरकार के दो साल... वादे पे तेरे मारे गए!
मई 2016 का जनादेश और उसके सबक
अर्थ
बैंकिंग: ईरादतन चूक या निर्लज्ज लूट- भारती
रिपोर्ट
निशाने पर फिर आजमगढ़- दुर्गा
श्रमिक नेता के.के. बोरा पर जानलेवा हमले के निहितार्थ- इंद्रेश मैखुरी
आधी दुनिया
‘फ्री सेक्स’ जैसी गाली से भला हम क्यों घबराएं?- कविता कृष्णन
कैंपस
एक सांस्कृतिक क्रांति का आगाज- प्रभात पटनायक
तानाशाही के खिलाफ छात्रों की लड़ाई- संतोष झा
उच्च शिक्षा की ‘गुणवत्ता’ ‘सुधारने’ में जुटे कुलपति!- बृजेश यादव
विशेष
जमीन के सवाल और अंबेडकर- कंवल भारती
श्रद्धांजलि
प्रो. सुरेंद्र प्रसाद
बहस
वामपंथियों और अंबेडकरवादियों में चाहिए संवाद और एकता- चिंटू कुमारी
मीडिया
राजदेव रंजन की हत्या से उपजे सवाल- रवीश कुमार
अर्णव: पत्रकारिता का सांप्रदायिक-फासीवादी चेहरा- पंकज श्रीवास्तव
गतिविधि
कोरस का चिल्ड्रेन्स वर्कशाॅप
पुस्तक चर्चा
क्रांति और विद्रोह का विश्वकोश- गोपाल प्रधान
कविताएं
परती का दुख, ऋतु पर्व, डाका, दिल्ली का ठाठ- केशव तिवारी
उलार- बृजेश यादव
विश्वविजय अभियान पर आतंक, लोग हो रहे आदमखोर,
जो जीवन ही परे हट जाए, नजर चली ही जाती है- कुमार मुकुल
आवरण कथा
सरकारी सूखे की मार
बुंदेलखंड: अभाव और दरिद्रता का साम्राज्य- अरविंद राज स्वरूप
किसानों के लिए सूखा- पूंजीपतियों-नेताओं के लिए अवसर- विष्णु प्रभाकर
आप एक गहन जलसंकट में हैं: पी. साईनाथ- स्क्रोल संवाददाता
फांस: किसान आत्महत्याओं के कारकों की पड़ताल- रणेंद्र
सामयिकी
मोदी सरकार के दो साल... वादे पे तेरे मारे गए!
मई 2016 का जनादेश और उसके सबक
अर्थ
बैंकिंग: ईरादतन चूक या निर्लज्ज लूट- भारती
रिपोर्ट
निशाने पर फिर आजमगढ़- दुर्गा
श्रमिक नेता के.के. बोरा पर जानलेवा हमले के निहितार्थ- इंद्रेश मैखुरी
आधी दुनिया
‘फ्री सेक्स’ जैसी गाली से भला हम क्यों घबराएं?- कविता कृष्णन
कैंपस
एक सांस्कृतिक क्रांति का आगाज- प्रभात पटनायक
तानाशाही के खिलाफ छात्रों की लड़ाई- संतोष झा
उच्च शिक्षा की ‘गुणवत्ता’ ‘सुधारने’ में जुटे कुलपति!- बृजेश यादव
विशेष
जमीन के सवाल और अंबेडकर- कंवल भारती
श्रद्धांजलि
प्रो. सुरेंद्र प्रसाद
बहस
वामपंथियों और अंबेडकरवादियों में चाहिए संवाद और एकता- चिंटू कुमारी
मीडिया
राजदेव रंजन की हत्या से उपजे सवाल- रवीश कुमार
अर्णव: पत्रकारिता का सांप्रदायिक-फासीवादी चेहरा- पंकज श्रीवास्तव
गतिविधि
कोरस का चिल्ड्रेन्स वर्कशाॅप
पुस्तक चर्चा
क्रांति और विद्रोह का विश्वकोश- गोपाल प्रधान
कविताएं
परती का दुख, ऋतु पर्व, डाका, दिल्ली का ठाठ- केशव तिवारी
उलार- बृजेश यादव
विश्वविजय अभियान पर आतंक, लोग हो रहे आदमखोर,
जो जीवन ही परे हट जाए, नजर चली ही जाती है- कुमार मुकुल



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