संविधान की 15(4), 16(4) और 340 की कलम अनुसार बने संवैधानिक मंडल कमीशन के रिपोर्ट के अनुसार केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में अध्यापको में ओबीसी को 27% आरक्षण लागु करने की बजाय संघ के कट्टर जातिवादी ब्राह्मण नेताओ से नियंत्रित केंद्र सरकार संविधान की धज्जिया उड़ा कर ओबीसी आरक्षण खत्म रही है.
सामाजिक और शैक्षिक रूप से अगड़ो को, जिनका प्रशासन में आबादी से कई गुना ज्यादा प्रतिनिधित्व होते हुवे भी आर्थिक आधार पर आरक्षण क्यों? संघ के कट्टर जातिवादी ब्राह्मण नेताओ से नियंत्रित गुजरात सरकार ने संविधान की 15(4), 16(4) और 340 की कलमो की धज्जिया उड़ा कर आर्थिक आधार पर अगड़ो के लिए 10% आरक्षण लागु कर दिया है.
अगर ओबीसी हिन्दू है तो यक़ीनन केंद्र सरकार हिन्दुओ की घोर शत्रु सरकार नहीं है क्या?

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