Tuesday, June 21, 2016

प्रक्रिया एक विशेष साजिश के तहत बचपन से ही तैयार होता हूँ मैं एक ऐसा वक्त जब मेरी दृष्टि को पंखों की होती है आवश्यकता मुझे गुप्त अँधेरे में रखा जाता है मुझे एक दर्द के दौर से गुजारा जाता है लपेट दिया जाता है मेरी देह को मान्यताओं से, संस्कारों से और ख़त्म कर दी जाती है, मेरे विद्रोही होने की संभावना एक विशेष साजिश के तहत ढाला जाता है मुझे एक सांचे में सिखाए जाते हैं नियम कानून तय की जाती है मेरी सीमा एक विशेष साजिश के तहत बाँध दिया जाता है मेरे सपनों को बार-बार कानों में डाला जाता है हम एक यंत्र मात्र हैं एक विशेष साजिश के तहत हमें छोड़ दिया जाता है एक दहलीज़ पर जहाँ होता हूँ मैं अभिशप्त जहाँ दिखता है मुझे मेरा अतीत एक ऐसा निर्जीव अतीत जिसके होठों को सील दिया गया था अब अपने अंतिम चरण में बेबस, लाचार सोचता हूँ इसी साजिश के तहत तैयार हो रही है कई नस्लें .......कुमार गौरव 'कुमार

प्रक्रिया
एक विशेष साजिश के तहत
बचपन से ही तैयार होता हूँ मैं
एक ऐसा वक्त
जब मेरी दृष्टि को पंखों की होती है आवश्यकता
मुझे गुप्त अँधेरे में रखा जाता है
मुझे एक दर्द के दौर से गुजारा जाता है
लपेट दिया जाता है मेरी देह को मान्यताओं से, संस्कारों से
और ख़त्म कर दी जाती है,
मेरे विद्रोही होने की संभावना
एक विशेष साजिश के तहत
ढाला जाता है मुझे एक सांचे में
सिखाए जाते हैं नियम कानून
तय की जाती है मेरी सीमा
एक विशेष साजिश के तहत
बाँध दिया जाता है मेरे सपनों को
बार-बार कानों में डाला जाता है
हम एक यंत्र मात्र हैं
एक विशेष साजिश के तहत
हमें छोड़ दिया जाता है एक दहलीज़ पर
जहाँ होता हूँ मैं अभिशप्त
जहाँ दिखता है मुझे मेरा अतीत
एक ऐसा निर्जीव अतीत
जिसके होठों को सील दिया गया था
अब अपने अंतिम चरण में
बेबस, लाचार सोचता हूँ
इसी साजिश के तहत
तैयार हो रही है कई नस्लें
.......कुमार गौरव 'कुमार

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