Wednesday, July 6, 2016

मनुस्मृति इस विश्व की सबसे कुरूप किताब है ! (...इसलिये बाबा साहब ने इसे जलाया था...)

मनुस्मृति इस विश्व की सबसे कुरूप किताब है !
(...इसलिये बाबा साहब ने इसे जलाया था...)
मनुस्मृति
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ऐतरेय ब्राह्मण
(3/24/27) वही नारी उत्तम है जो पुत्र को जन्म दे।
(35/5/2/47) पत्नी एक से अधिक पति ग्रहण नहीं कर सकती, लेकिन पति चाहे कितनी भी पत्नियां रखे।
आपस्तब
(1/10/51/52) बोधयान धर्म सूत्र (2/4/6) शतपथ ब्राह्मण (5/2/3/14) जो नारी अपुत्र है उसे त्याग देना चाहिए।
तैत्तिरीय संहिता
(6/6/4/3) पत्नी आजादी की हकदार नहीं है।
शतपथ ब्राह्मण
(9/6) केवल सुन्दर पत्नी ही अपने पति का प्रेम पाने की अधिकारिणी है।
बृहदारण्यक उपनिषद्
(6/4/7) यदि पत्नी सम्भोग के लिए तैयार न हो तो उसे खुश करने का प्रयास करो। यदि फिर भी न माने तो उसे पीट-पीट कर वश में करो।
मैत्रायणी संहिता
(3/8/3) नारी अशुभ है। यज्ञ के समय नारी, कुत्ते व शूद्र को नहीं देखना चाहिए। अर्थात् नारी और शूद्र कुत्ते के समान हैं।
(1/10/11) नारी तो एक पात्र (बरतन) समान है।
महाभारत
(12/40/1) नारी से बढ़कर अशुभ कुछ नहीं है। इनके प्रति मन में कोई ममता नहीं होनी चाहिए। (6/33/32) पिछले जन्मों के पाप से नारी का जन्म होता है ।
मनुस्मृति
(100) पृथ्वी पर जो भी कुछ है वह ब्राह्मण का है।
मनुस्मृति
(101) दूसरे लोग ब्राह्मणों की दया के कारण सब पदार्थों का भोग करते हैं।
मनुस्मृति
(11-11-127) मनु ने ब्राह्मण को संपत्ति प्राप्त करने के लिए विशेष अधिकार दिया है। वह तीनों वर्णों से बलपूर्वक धन छीन सकता है अथवा चोरी कर सकता है।
मनुस्मृति
(4/165 – 4/166) जान बूझकर क्रोध से जो ब्राह्मण को तिनके से भी मारता है वह इक्कीस जन्मों तक बिल्ली योनि में पैदा होता है।
मनुस्मृति
(5/35) जो मांस नहीं खाएगा वह इक्कीस बार पशु योनि में पैदा होगा ।
मनुस्मृति
(64 श्लोक) अछूत जातियों के छूने पर स्नान करना चाहिए।
गौतम धर्म सूत्र
(2-3-4) यदि शूद्र किसी वेद को पढ़ते सुन ले तो उसके कानों में पिंघला हुआ शीशा या लाख डाल देनी चाहिए।
मनुस्मृति
(8/21-22) ब्राह्मण चाहे अयोग्य हो उसे न्यायाधीश बनाया जाए नहीं तो राज मुसीबत में फंस जाएगा।
यदि कोई ब्राह्मण को दुर्वचन कहेगा तो वे मृत्युदण्ड के अधिकारी हैं।
मनुस्मृति
(8/270) यदि कोई ब्राह्मण पर आक्षेप करे तो उसकी जीभ काट कर दण्ड दें।
मनुस्मृति
(5/157) विधवा का विवाह करना घोर पाप है।
* 'विष्णुस्मृति' में स्त्री को सती होने के लिए उकसाया गया है तो
* ‘शंख स्मृति’ में दहेज देने के लिए प्रेरित किया गया है।
* ‘देवल स्मृति’ में किसी को भी बाहर देश जाने की मनाही है।
* ‘बृहदहरित स्मृति’ में बौद्ध भिक्षु तथा मुण्डे हुए सिर वालों को देखने की मनाही है।
* ‘गरुड़ पुराण’ पूरे का पूरा अंधविश्वास का पुलिंदा है जिसमें ब्राह्मण को गाय दान करने तथा उसके हाथ मृतकों का गंगा में पिण्डदान करने के लिए कहा गया है।
कहने का अर्थ है कि इस पुराण में ब्राह्मणों की रोजी-रोटी का पूरा प्रबंन्ध किया गया है। इस प्रकार हम देखते हैं कि यह ब्राह्मण साहित्य इस देश को कितना पीछे ले गया और भारत की गुलामी की एक बड़ा कारण रहा।
इस पर एक अंग्रेज इतिहासकार एडमंड बर्क लिखते हैं, ‘ हिन्दू समाज क्योंकि आर्थिक तौर पर भ्रष्ट और अन्यायी था। अतः वे अपने देश को स्वतंन्त्र नहीं रख पाए और भारत को सदियों तक गुलामी के कष्ट भोगने पड़े। ’
इस सम्बन्ध में भारतवर्ष के महान् विचारक तथा विद्वान् स्वामी विवेकानन्द ने कहा था, ‘ एक देश जहां लाखों लोगों को खाने को कुछ नहीं, जहां कुछ हजार व्यक्ति तथा ब्राह्मण गरीबों का खून चूसते हैं। हिन्दुस्तान एक देश नहीं, जिंदा नरक है। यह धर्म और मौत का नाच है। ’
' स्कन्द पुराण ' की तो पूरी शिक्षा ही देशद्रोही है। कहते हैं कि नारी के विधवा होने पर उसके बाल काट दो, सफेद कपड़े पहना दो और उसको खाना केवल इतना दो कि वह जीवित रह सके। उसका पुनः विवाह करना पाप है। ऐसे नियमों को पौराणिक ब्राह्मणों ने हमारी राजपूत जैसी जातियों से मनवाया, इसी कारण सती प्रथा का प्रचलन हुआ। विधवा औरत ने सोचा कि इससे अच्छा तो पति के साथ ही जलकर मरना |

- अनुज गुलियानी
(सामाजिक यायावर की टाइमलाईन से साभार)

1 comment:

  1. यह पोस्ट कुत्सित विचार झूठ का पुलिंदा है ।

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