ग्राउंड दलित रिपोर्ट -1
( शिवपुरा )
...जहाँ आज भी बैरवा समाज के लोग नहीं बना सकते सार्वजनिक सराय !
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राजस्थान के भीलवाड़ा जिले की मांडल पंचायत समिति की एक ग्राम पंचायत है चान्खेड ,हाल ही में यहाँ स्वच्छता मिशन के तहत गौरव यात्रा का भी आगमन हुआ है .इसी पंचायत का एक छोटा सा गाँव शिवपुरा है जो कभी भाटीखेडा कहलाता था .इस गाँव में तक़रीबन 65 परिवार निवास करते है ,जिनमें से 12 परिवार अनुसूचित जाति की बैरवा समुदाय के है .इन दलित बैरवा परिवारों को अपना कोई भी सार्वजनिक काम खुले आसमान तले करना पड़ता है .
...जहाँ आज भी बैरवा समाज के लोग नहीं बना सकते सार्वजनिक सराय !
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राजस्थान के भीलवाड़ा जिले की मांडल पंचायत समिति की एक ग्राम पंचायत है चान्खेड ,हाल ही में यहाँ स्वच्छता मिशन के तहत गौरव यात्रा का भी आगमन हुआ है .इसी पंचायत का एक छोटा सा गाँव शिवपुरा है जो कभी भाटीखेडा कहलाता था .इस गाँव में तक़रीबन 65 परिवार निवास करते है ,जिनमें से 12 परिवार अनुसूचित जाति की बैरवा समुदाय के है .इन दलित बैरवा परिवारों को अपना कोई भी सार्वजनिक काम खुले आसमान तले करना पड़ता है .
बड़े बुजुर्गों और जवानों सबकी एक इच्छा रही कि एक सामुदायिक भवन बना लें ताकि किसी आयोजन के वक़्त दिक्कत न हो .प्रक्रिया चली ,2012 में ग्राम पंचायत से भूखण्ड की मांग की गई .तत्कालीन सचिव ने 12 हजार रूपये जमा कराने को कहा .सबने मिल कर चंदा किया और दो किश्तों में राशि ग्राम पंचायत के सचिव को दे दी गई .4 फरवरी 2013 को जमीन का पट्टा सार्वजनिक सराय बैरवा समाज के नाम से जारी हो गया .पट्टा निशुल्क आवंटित हुआ ,जो राशि सचिव महोदय ने ली ,वह डकार ली गई और बाद में सचिव का ट्रांसफर हो गया .
जमीन का पट्टा मिल जाने के बाद बैरवा समाज की ओर से निर्माण का काम शुरू किया गया ,निर्माण शुरू करते ही शिवपुरा के ही निवासी मोहन गुर्जर ,गोदू गुर्जर ,ईश्वर गुर्जर तथा माधु गुर्जर ने विरोध करना शुरू कर दिया .वे गाली गलौज करने लगे ,उन्होंने दलितों द्वारा किये गए निर्माण को ध्वस्त कर दिया और पंचायत द्वारा आवंटित भूखण्ड की ओर अपने खेत का नाजायज रास्ता निकाल दिया ,इतना ही नहीं बल्कि पूरे भूखण्ड पर जगह जगह पर पत्थर और लकड़ियाँ आदि डाल कर अवैध कब्ज़ा करने की कोशिस करने लगे .उन्होंने दलितों को ढेढ चमारिया जैसे जातिसूचक अल्फाजों से अपमानित करते हुए उन पर पत्थर बरसाये और जान से मारने की धमकियाँ देने लगे .सरकार द्वारा विधिवत आवंटित भूमि पर बनायीं जा रही सार्वजनिक सराय भी गैर दलितों को बर्दाश्त नहीं हुई ,उन्होंने पूरी दादागिरी करते हुए दलितों द्वारा करवाये जा रहे निर्माण को रोक दिया और जिला कलेक्टर भीलवाडा के समक्ष एक निगरानी याचिका दायर कर पंचायत द्वारा दलितों को दिए गए भूखंड को ही निरस्त करवाने की कानूनी कार्यवाही प्रारम्भ कर दी .
जमीन का पट्टा मिल जाने के बाद बैरवा समाज की ओर से निर्माण का काम शुरू किया गया ,निर्माण शुरू करते ही शिवपुरा के ही निवासी मोहन गुर्जर ,गोदू गुर्जर ,ईश्वर गुर्जर तथा माधु गुर्जर ने विरोध करना शुरू कर दिया .वे गाली गलौज करने लगे ,उन्होंने दलितों द्वारा किये गए निर्माण को ध्वस्त कर दिया और पंचायत द्वारा आवंटित भूखण्ड की ओर अपने खेत का नाजायज रास्ता निकाल दिया ,इतना ही नहीं बल्कि पूरे भूखण्ड पर जगह जगह पर पत्थर और लकड़ियाँ आदि डाल कर अवैध कब्ज़ा करने की कोशिस करने लगे .उन्होंने दलितों को ढेढ चमारिया जैसे जातिसूचक अल्फाजों से अपमानित करते हुए उन पर पत्थर बरसाये और जान से मारने की धमकियाँ देने लगे .सरकार द्वारा विधिवत आवंटित भूमि पर बनायीं जा रही सार्वजनिक सराय भी गैर दलितों को बर्दाश्त नहीं हुई ,उन्होंने पूरी दादागिरी करते हुए दलितों द्वारा करवाये जा रहे निर्माण को रोक दिया और जिला कलेक्टर भीलवाडा के समक्ष एक निगरानी याचिका दायर कर पंचायत द्वारा दलितों को दिए गए भूखंड को ही निरस्त करवाने की कानूनी कार्यवाही प्रारम्भ कर दी .
शिवपुरा के अधिकांश बैरवा अनपढ़ और भोले भाले लोग है ,उनके लिए यह सब अप्रत्याशित था ,उन्होंने तो पैसा दे कर जमीन ली ,जिसका वैधानिक हक़ उनके पास था ,पंचायत को उनके द्वारा करवाये जा रहे निर्माण से कोई आपत्ति नहीं थी ,उनको ख़ुशी थी कि सदियों बाद पहली बार बैरवा परिवारों का भी मुख्य सड़क पर अपना एक सामुदायिक भवन होगा ,जिसमे वे अपनी ख़ुशी के आयोजन मिलजुल कर कर सकेंगे ,मगर अचानक इस तरह की परिस्थिति ने उनको मुसीबत में डाल दिया .उन्हें कोर्ट कचहरी और थाना तहसील के चक्कर काटने को मजबूर कर दिया गया .लोग अपना काम छोड़ कर आत्मसम्मान बचाने की लडाई में कूद पड़े .
शिवपुरा के बैरवा समुदाय के 16 लोग सितम्बर 2015 से लेकर अब तक ग्राम पंचायत के सरपंच से लेकर जिला कलेक्टर के पास अनगिनत बार जा चुके है ,उन्होंने पटवारी ,तहसीलदार ,एस डी एम् ,सरकारी मुख्य सचेतक ,थानेदार ,पुलिस अधीक्षक और मंत्रियों तक की परिक्रमा कर ली .जिलाधिकारी की कोर्ट में चल रही निगरानी याचिका का फैसला भी दलित बैरवा समुदाय के पक्ष में आ गया ,इसी फैसले में उनसे 12 हजार रूपये पुनः जमा कराने को आदेशित किया गया .बैरवा समाज के लोगों ने वह भी कर डाला ,मगर आज 8 माह से भी अधिक समय बीत जाने पर भी इन गरीब बैरवा परिवारों की कहीं कोई सुनवाई नहीं है.आज तक वे यहाँ पर एक ईंट फिर से नहीं लगा पाये है .
सरकारें बाबा साहेब डॉ अम्बेडकर की 125 वीं जयंती मनाने के ढोंग रच रही है ,दलितों के हितेषी, पार्टियों के दलाल गली गली डोलते घूम रहे है ,दलित नेता और मसीहाओं की जिले ,प्रदेश और देश में बाढ़ आई हुई है ,राजस्थान सरकार के संपर्क पोर्टल पर भी शिकायत दर्ज है ,मगर शिवपुरा के दलित बैरवाओं की कहीं कोई भी रत्ती भर भी सुनवाई नहीं की जा रही है .इलाके के अधिकारी ,कर्मचारी ,राजनेता और सामाजिक नेता सब कानों में तेल डाले हुये है ,उन्हें इन दलितों की पुकार द्रवित नहीं करती .
सरकारें बाबा साहेब डॉ अम्बेडकर की 125 वीं जयंती मनाने के ढोंग रच रही है ,दलितों के हितेषी, पार्टियों के दलाल गली गली डोलते घूम रहे है ,दलित नेता और मसीहाओं की जिले ,प्रदेश और देश में बाढ़ आई हुई है ,राजस्थान सरकार के संपर्क पोर्टल पर भी शिकायत दर्ज है ,मगर शिवपुरा के दलित बैरवाओं की कहीं कोई भी रत्ती भर भी सुनवाई नहीं की जा रही है .इलाके के अधिकारी ,कर्मचारी ,राजनेता और सामाजिक नेता सब कानों में तेल डाले हुये है ,उन्हें इन दलितों की पुकार द्रवित नहीं करती .
शिवपुरा के दलित बैरवाओं की आँखों की बेबसी हमारी आज़ादी , लोकतंत्र और संविधान पर सवाल खड़े करती प्रतीत हो रही है,जैसे पूंछ रही हो कि हम दलित वाकई कब आजाद होंगे ? कब ऐसा दिन आएगा ,जब हम अपने खर्चे पर ही सही पर एक सामुदायिक भवन बना पाएंगे ,जिसमें किसी दिन बाबा साहब की जयंती मना सकेंगे. .शायद इस अन्यायकारी व्यवस्था के पास इन दलितों के सवालों का कोई जवाब नहीं है और ना ही कोई निदान .
- भंवर मेघवंशी ( लेखक स्वतंत्र पत्रकार है )
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