Wednesday, May 25, 2016

Ak Pankaj याद है जंगल संथाल! नहीं न? आज 25 मई है. नक्सलबाड़ी शहीद दिवस. गौर से देखिए, यहां जो मूर्तियां लगी हैं, वे किनकी हैं? मूर्तियों की संख्या बढ़ती गई लेकिन इन मूर्तियों में स्थानीय नेता या शहीद हुए 11 लोगों में से किसी एक की भी प्रतिमा नहीं है. क्रमवार सबसे नई और अंतिम मूर्ति उस महादेव मुखर्जी की है जिसकी पिटायी चाटुकारिता और अंधभक्ति के कारण जंगल संथाल ने की थी. याद रहे, आज ही के दिन नक्सलबाड़ी में 11 लोग शहीद हुए थे. इनमें 8 महिलाएं थीं और सब के सब आदिवासी और दलित थे. जिनका लोकप्रिय नेता जंगल संथाल था. क्यों आज के दिन भी आदिवासी नेता को तथाकथित वामपंथी ‘लाल सलाम’ नहीं बोलते?

Ak Pankaj 

याद है जंगल संथाल! नहीं न?
आज 25 मई है. नक्सलबाड़ी शहीद दिवस. गौर से देखिए, यहां जो मूर्तियां लगी हैं, वे किनकी हैं? मूर्तियों की संख्या बढ़ती गई लेकिन इन मूर्तियों में स्थानीय नेता या शहीद हुए 11 लोगों में से किसी एक की भी प्रतिमा नहीं है. क्रमवार सबसे नई और अंतिम मूर्ति उस महादेव मुखर्जी की है जिसकी पिटायी चाटुकारिता और अंधभक्ति के कारण जंगल संथाल ने की थी. याद रहे, आज ही के दिन नक्सलबाड़ी में 11 लोग शहीद हुए थे. इनमें 8 महिलाएं थीं और सब के सब आदिवासी और दलित थे. जिनका लोकप्रिय नेता जंगल संथाल था. क्यों आज के दिन भी आदिवासी नेता को तथाकथित वामपंथी ‘लाल सलाम’ नहीं बोलते?




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