Lalajee Nirmal
दलितों की जमीनी हालत तो देखिये |बहुत कुछ नहीं बदला है ,दलितों की हालत कमोबेश वही है जो आधी शदी पहले थी |कौन चाहता है सीवर में घुसना,कौन चाहता है दूसरों के कपडे धोना,कौन चाहता है औरों के जूते सिलना |प्रश्न यह है क्या करें, न जमीन है न रोजगार के लिए पैसे |
दलितों की जमीनी हालत तो देखिये |बहुत कुछ नहीं बदला है ,दलितों की हालत कमोबेश वही है जो आधी शदी पहले थी |कौन चाहता है सीवर में घुसना,कौन चाहता है दूसरों के कपडे धोना,कौन चाहता है औरों के जूते सिलना |प्रश्न यह है क्या करें, न जमीन है न रोजगार के लिए पैसे |
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