Wednesday, May 25, 2016

समुद्रमंथन, फ्री सेक्स, गजेन्द्र चौहान, अप्पाराव और कन्हैया..... Sanjeev Chandan

समुद्रमंथन, फ्री सेक्स, गजेन्द्र चौहान, अप्पाराव और कन्हैया.....
Sanjeev Chandan
एक सवाल : गजेन्द्र चौहान का क्या हुआ, वह अपनी जगह पर ऍफ़ टी आई में बना हुआ है , कुलपति अप्पाराव आज भी हैदराबाद विश्वविद्यालय में शान से विराजमान है, औक्यूपाय यू जी सी का कुल जमा हासिल रहा कि यू जी सी अपने मनमाने पन पर कायम है. जे एन यू में कुलपति 'संघसेवा' के लिए 5 साल तक आसीन हो गये हैं. दादरी के बाद रांची हो गया यानी गाय ने निर्दोषों की जान ली. असहिष्णुता अपनी जगह पर मौजूद है- उर्दू के कलाकारों से जबरन उनकी सरकारी पेंटिंग पुतवाई जा रही है, पाठ्यक्रम बदले जारहे हैं, संस्थानों में भक्तों की भर्ती हो रही है- क्या कुछ बदला. क्या हम भी आन्दोलनों के ' इवेंट' में फंस गये हैं- संघ ने इवेंट तय किया और हम उसे रेस्पोंड करते रहे.
दरअसल वे सफल हैं, वे 'समुद्रमंथन' कर रहे हैं- वे समाज में हलचल, बहस , उथल-पुथल पैदा कर रहे हैं. समुद्रमंथन में वासुकीनाथ की पूँछ पकड़ रखी है उन्होंने - देवता हैं वे. और हम असुर, फुंफकारते वासुकीनाथ का मुंह पकड़ कर उनके आयोजित समुद्रमंथन में ही शामिल है- कुछ रत्न उन्हें मिल रहे हैं, कुछ हमें- सबसे बड़ा रत्न हमारे पास हासिल हुआ है ' कन्हैया'- जिसे हम अन्य-अन्य जगहों पर इवेंट आन्दोलनों में घुमा रहे हैं. इस बीच गर्मी बहुत पड़ रही है - लोग प्यास से मर रहे हैं- पानी की कमी से मराठवाडा में किसान आत्महत्या कर रहे हैं और हम उन्हें यानी संघी बांकुरोंको ' फ्री सेक्स' का अर्थ समझाने में लगे हैं- इस प्रसंग में एक इवेंट का दिल मेरा भी था, क्यों न प्रोफाइल में खजुराहो लगा लें.

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