Tuesday, May 31, 2016

यह हमने कौन सा समाज तैयार किया ? क्या यही हिंदुत्व का सगल है? इसकी ज्म्मेदारी कौन लेगा ? इससे कौन सी प्रगति हो रही है ? तुम एक झूठी और अफवाह फैलाने वाली संस्कृति के क्रीतिदास बन कर रह जाओगे, मैं सच कहता हूँ ।

Shailendra Kumar Shukla
Mahatma Gandhi international Hindi University,Wardha
हमारे आस-पास एक भक्ति-रूपा जघन्य उत्पाती, छल-छद्म का बेशर्म जंगल लगातार बढ़ता जा रहा है। हम भय की दुर्गंधमयी संस्कृति तैयार करने में लगे हैं। यह भय हमें सदियों पुरानी जड़ताओं की तरफ ले जाने के लिए वीभत्स साहस कर रहा है। जब हम किसी को लगातार डराने के लिए प्रयत्न करते हैं तो यह अनायास ही हमारे डर का द्योतक है। हम आज हिन्दुत्व की कट्टरता से क्या सिद्ध करना चाहते हैं । याद रखिए हम अपनी सदी का सबसे भयानक दंश रच रहे हैं। सोचिए हम जिस समाज में रह रहे हैं, उस समाज की समाजिकता को हम क्या दे रहे हैं? यह दौर कितना बेहूदा और शर्मशार कर देने वाला वातावरण बना रहा है कि जहां हमारे पारिवारिक सम्बन्धों में एक दूरी इस लिए बन रही है कि हम उनकी कट्टरता यानी हिंदुवादी सोच का समर्थन क्यों नहीं करते। हमारे घर-परिवार के लोग व्यक्तिगत तौर पर हमसे दुश्मन बनने को तैयार हैं। हम हिंदुवादी सरकार की नीतियों पर उंगली क्यों उठाते हैं, हम संघ का समर्थन क्यों नहीं करते, हम धर्म को मनुष्यता से ऊंचा क्यों नहीं मानते, हम मुसलमानों को अपना दुश्मन क्यों नहीं मानते, हम उनकी कट्टरता का समर्थन क्यों नहीं करते, हम बुद्धिजीवों का सम्मान क्यों करते हैं, हम किताबें क्यों पढ़ते हैं, हम तर्क क्यो करते हैं, हम मोदी भक्त क्यों नहीं हैं??? हम आप को सिर्फ एक उत्तर देना चाहते हैं कि हम देश के जागरूक और जिंदा नागरिक हैं। मैं व्यक्तिगत तौर पर यह कहना चाहता हूँ कि फेसबुक और वाट्सप समूहों पर धड़ल्ले से झूठ और फरेब से सनी हुई पोंगापंथी दुनिया भर की शुद्ध झूठी खबरें हमारे और आप के निकटस्थ संबंधियों द्वारा प्रचारित की जा रही हैं । यह हमने कौन सा समाज तैयार किया ? क्या यही हिंदुत्व का सगल है? इसकी ज्म्मेदारी कौन लेगा ? इससे कौन सी प्रगति हो रही है ? तुम एक झूठी और अफवाह फैलाने वाली संस्कृति के क्रीतिदास बन कर रह जाओगे, मैं सच कहता हूँ ।
(सोचते-सोचते)

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