राजेश जोशी की कविता
जो इस पागलपन में शामिल नहीं होंगे
मारे जाएंगे
कटघरे में खड़े कर दिए जाएंगे, जो विरोध में बोलेंगे
जो सच-सच बोलेंगे, मारे जाएंगे
बर्दाश्त नहीं किया जाएगा कि किसी की कमीज़ हो
उनकी कमीज़ से ज्यादा सफ़ेद
कमीज़ पर जिनके दाग़ नहीं होंगे, मारे जाएंगे
धकेल दिए जाएंगे कला की दुनिया से बाहर, जो चारण नहीं
जो गुन नहीं गाएंगे, मारे जाएंगे
धर्म की ध्वजा जो नहीं उठाए जो नहीं जाएंगे जुलूस में
गोलियां भून डालेंगी उन्हें, काफिर करार दिए जाएंगे
सबसे बड़ा अपराध है इस समय
निहत्थे और निरपराध होना
जो अपराधी नहीं होंगे, मारे जाएंगे
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