Saturday, May 7, 2016

सफ़दर घने अँधेरे में उजाले की किरण.. यह शहादत हर किसी को नसीब नहीं होती यह आखिरी सलाम हर किसी के हिस्से में नहीं आता..यह भीड़ ट्रकों, बसों में ठूस कर लाई गई नहीं है..यह वो मेहनतकाश लोग है जिसकी आवाज़ वामपंथ था, है, और रहेगा...तुम लाख सवाल उठालो लेकिन सच स्याह रातों का सीना चीर सवेरा बनके आएगा ... सफ़दर तुझे जब-जब याद करता हूँ घने अँधेरे में दिखता है उजाला


Kumar Gaurav 
सफ़दर घने अँधेरे में उजाले की किरण..
यह शहादत हर किसी को नसीब नहीं होती यह आखिरी सलाम हर किसी के हिस्से में नहीं आता..यह भीड़ ट्रकों, बसों में ठूस कर लाई गई नहीं है..यह वो मेहनतकाश लोग है जिसकी आवाज़ वामपंथ था, है, और रहेगा...तुम लाख सवाल उठालो लेकिन सच स्याह रातों का सीना चीर सवेरा बनके आएगा ...
सफ़दर तुझे जब-जब याद करता हूँ
घने अँधेरे में दिखता है उजाला

No comments:

Post a Comment