दंतेवाड़ा में सामसेट्टी गाँव में चार लड़कियों के साथ
पुलिस वालों नें सामूहिक बलात्कार किये थे .
हमने उनकी एफआईआर लिखवाने की कोशिश करी
लेकिन बलात्कारी तो थानेदार साहब के ही साथ बैठे थे
एफआईआर नहीं लिखी गयी
हमने कानून के मुताबिक शिकायत रजिस्टर्ड पोस्ट से एसपी को भेजी
एसपी नें कोई जवाब नहीं दिया
हमने अदालत में अर्जी लगाईं
सुकमा अदालत में लड़कियों और गवाहों के बयान दर्ज हुए
अदालत नें आरोपी पुलिस वालों के खिलाफ़ वारंट जारी कर दिए
पुलिस नें अदालत को बताया कि ये पुलिस वाले हमें मिल नहीं रहे
हांलाकि उनमें से एक तो एसपी साहब का बोड़ी गार्ड था
ये सभी बलात्कारी पुलिस वाले थाने में ही रह रहे थे
नियमित तनख्वाह ले रहे थे
हिन्दुस्तान टाइम्स नें छापा एब्स्कौन्डिंग बट औन ड्यूटी ( फरार लेकिन ड्यूटी पर )
शिकायत दर्ज करने के बाद लड़कियों के ऊपर पुलिस के हमले का डर बढ़ गया था
ये लडकियां हमारे आश्रम में आकर रहने लगी
धान की कटाई का मौसम आया
लड़कियों नें कहा कि हम कुछ दिन अपने गाँव जाकर वापिस आयेंगी
लड़कियों की सुरक्षा के लिए दंतेवाड़ा की कलेक्टर को सभी लड़कियों नें प्रार्थना पत्र दिए
कलेक्टर एक युवा महिला थी
वे दलित समुदाय से थीं
जब वे कलेक्टर बन कर आयी थी
तो हम बहुत खुश हुए थे कि अब आदिवासियों पर अत्याचार कम होंगे
लेकिन ऐसा बिलकुल नहीं हुआ
ये बलात्कार पीड़ित आदिवासी लडकियां प्रार्थना पत्र देकर वापिस अपने गाँव गयीं
इन लड़कियों का पुलिस वालों नें दुबारा अपहरण कर लिया
पुलिस थाने में ले जाकर इन लड़कियों की पांच दिन तक पिटाई करी गयी
और दोबारा बलात्कार किये गए
उसके बाद मुझे छत्तीसगढ़ छोड़ने पर मजबूर किया गया
मेरे निकलने के बाद इन महिला कलेक्टर ने मीडिया से कहा कि
अगर हिमांशु कुमार मुझसे कभी मिलते तो मैं ज़रूर इन लड़कियों को सुरक्षा देती
जबकि सभी लडकियां और मैं उनके पास आधा घंटा बैठ कर चर्चा कर चुके थे
ज़ाहिर था कलेक्टर साहिबा ने पीड़ित आदिवासी महिलाओं की बजाय
सरकार और पुलिस का साथ देना पसंद किया
बाद में इन्हीं कलेक्टर साहिबा पर आदिवासियों की ज़मीनों को अमीर
उद्योगपतियों को गैरकानूनी ढंग से देने का मामला भी बना था
अभी दलित , मुस्लिम युवाओं के आइएएस में चुने जाने पर जश्न का माहौल है
लेकिन मेरा अनुभव है कि ये सभी आईएएस पीड़ित आदिवासियों, दलितों या
अल्पसंख्यकों के लिए काम नहीं करेंगे
ये अपने अपने आकाओं , अम्बानी टाटा ,
अदानी मोदी अमित शाह के हुकुम बजायेंगे
इसलिए बहुत खुश होने की ज़रूरत नहीं है
राजकाज और अर्थव्यवस्था को बदले बिना
अपने ऊपर राज करने वालों में
अपने जाति के लोगों के शामिल हो जाने से
कोई बदलाव नहीं होगा
इस शोषक अर्थव्यवस्था और
राज्यव्यवस्था को बदलने के बारे में सोचिये |
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