मेरे मित्रों की बेटियां सारी की सारी बहुत काबिल और बेहतरीन बेटियां है और उनमें से अब तक एक ने भी हमें निराश नहीं किया है।अब उर्मिलेश ने अपने फेसबुक स्टेटस पर बेटी कावेरी की उपलब्धि शेयर की है तो बहुत अच्छा लग रहा है।
मेरे पत्रकार बनने का कभी कोई इरादा था नहीं।चिपको ांदोलन के सिलसिले में हम छात्र जीवन में ही नैनीताल समाचार,पहाड़ से लेकर दिनमान वगैरह वगैरह के लिए शौकिया पत्रकारिता जरुर करते थे लेकिन मेरा पक्का इरादा पीएचडी करके नैनीताल डीएसबी कैंपस लौटकर शेकर पाठक की तरह अध्यापक बनना था।इसीलिए मैं पीएचडी करने के इरादे से इलाहाबाद गया था और वहां मंगलेश डबराल के मार्फत मेरी मुलाकात उर्मिलेश हुई जो उन दिनों जेएनयू में डा.मैनेजर पांडेय के मातहत शोध कर रहे थे।
मंगलेश दा और वीरनेदा के सुझाव पर मैंने भी जेएनयू से शोध करने का मन बनाया और पहुंच गया जेएनयू पूर्वांचल हास्टल में।
इस बीच मैं नैनीताल लौटा तो उर्मिलेश धनबाद गये जहां मदन कश्यप दैनिक आवाज में काम कर रहे थे।आवाज में पत्रकार की जगह थी और बंकिम बाबू उर्मिलेश के पीछे पड़ गये तो उनने मेरा नाम सुझा दिया और हमें नैनीताल संदेश भेजा कि कुछ दिनों के लिए झारखंड घूम आओ और झारखंड घूमने के बहाने मैं जो पत्रकारिता में फंसा,वहां से मुक्ति शायद मरने के बाद मिलेगी।
मजा यह रहा कि खुद पत्रकार न बनने के लिए ठानकर उर्मिलेश भी बेहद कामयाब पत्रकार बन गये।
वे दिल्ली में हैं और मैं कोलकाता में हूं।अंतरंगता उतनी नहीं है लेकिन मित्रता जैसे तैसे बनी हुई है।
उन्हीं उर्मिलेश ने लिखा हैः
निजी प्रसंगों पर यदाकदा ही लिखता हूं. आज अपनी और परिवार की खुशी को साव॓जनिक करना अच्छा लग रहा है. मेरी बेटी कावेरी को आज देश के प्रतिष्ठित Tata Institute of Social Sciences(TISS), Mumbai से M. Phil. डिग्री अवाड॓ हुई. उसने Myanmar के Rohingya लोगों के विस्थापन और राज्यविहीनता से जुड़े मुद्दे पर शोध किया है. परिवार को लंबे समय बाद आज बहुत खुशी मिली..... बधाई और शुभकामनाएं कावेरी. परसों वह दिल्ली लौट रही है.
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