Sunday, May 1, 2016

ज़िन्दगी जो कभी हारती नहीं.. 1886 की मई के महीने में ‪#‎अमेरिका‬ का शिकागो शहर गवाह बना था उन हज़ारों मजूरों के क़त्ल ए आम का, जो अपना हक़ मांगने के लिए आंदोलन पर उतर आये थे.. पूंजीवाद को यह बर्दाश्त नहीं हुआ और आंदोलन करने वाले मज़दूरों की भीड़ पर गोलियों की बौछार करवा दी.. हज़ारों मज़ूर उस गोलीकांड के शिकार हो गए.. उन्हीं मज़दूरों के खून से तरबतर कपड़ों को बचे हुए आंदोलनकारियों ने लहराना शुरू कर आंदोलन ज़ारी रखा.. इसी आंदोलन से मिला लाल रंग आज भी कायम है और हर आंदोलन में लाल परचम फहराया जाता है.. उस आंदोलन में जिन मज़दूरों ने बलिदान दिया, उन्हीं की याद में हर साल‪#‎मई_दिवस‬ याने ‪#‎मज़दूर‬ दिवस मनाया जाता है.. ‪#‎शिकागो_आन्दोलन‬ में कत्ल हुए सभी साथियों और तब से लेकर हर आंदोलन में अपनी जान गंवाने वाले सभी साथियों को ‪#‎लाल_सलाम‬..

ज़िन्दगी जो कभी हारती नहीं..
1886 की मई के महीने में ‪#‎अमेरिका‬ का शिकागो शहर गवाह बना था उन हज़ारों मजूरों के क़त्ल ए आम का, जो अपना हक़ मांगने के लिए आंदोलन पर उतर आये थे.. पूंजीवाद को यह बर्दाश्त नहीं हुआ और आंदोलन करने वाले मज़दूरों की भीड़ पर गोलियों की बौछार करवा दी.. हज़ारों मज़ूर उस गोलीकांड के शिकार हो गए.. उन्हीं मज़दूरों के खून से तरबतर कपड़ों को बचे हुए आंदोलनकारियों ने लहराना शुरू कर आंदोलन ज़ारी रखा.. इसी आंदोलन से मिला लाल रंग आज भी कायम है और हर आंदोलन में लाल परचम फहराया जाता है.. उस आंदोलन में जिन मज़दूरों ने बलिदान दिया, उन्हीं की याद में हर साल‪#‎मई_दिवस‬ याने ‪#‎मज़दूर‬ दिवस मनाया जाता है..
‪#‎शिकागो_आन्दोलन‬ में कत्ल हुए सभी साथियों और तब से लेकर हर आंदोलन में अपनी जान गंवाने वाले सभी साथियों को ‪#‎लाल_सलाम‬..

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