Himanshu Kumar
कभी सड़क पर कपड़े की पोटली में बच्चा लटकाए सड़क बनाते मजदूर पति पत्नी से पूछियेगा कि वो पहले क्या करते थे ?
इनमें से बहुत सारे मजदूर पहले किसान थे जिन्हें हम शहरियों के विकास के लिए बाँध बनाने, हाई वे बनाने , हवाई अड्डा बनाने या अमीरों के कारखाने बनाने के लिए उजाड दिया गया .
हमने किसान को पहले मजदूर बना दिया
फिर जब ये मजदूर पूरी मजदूरी मांगता है तो हमारी ही पुलिस इन मजदूरों पर लाठी चलाती है इन्हें गोली से उड़ा देती है
आज तक कभी पुलिस को किसी अमीर को पीटते हुए देखा है कि तुम अपने मजदूरों को कानून के मुताबिक मजदूरी क्यों नहीं देते
आज तक श्रम विभाग के किसी अधिकारी को इस बात पर सज़ा नहीं हुई कि तुमने एक भी फैक्ट्री में मजदूरों को पूरी मजदूरी दिलाने के लिए कार्यवाही क्यों नहीं करी ?
सर्वोच्च न्यायालय का आदेश है कि अगर कोई भी मजदूर कम मजदूरी पर काम करता है उसे बंधुआ मजदूर माना जायेगा
अब ज़रा राष्ट्र की राजधानी में ही सीक्योर्टी गार्ड की नौकरी करने वाले से पूछियेगा कि उसकी ड्यूटी आठ घंटे की है या बारह घंटे की ?
आठ घंटे के काम के लिए मजदूरों नें लंबा संघर्ष किया था
दिल्ली की हर फैक्ट्री में मजदूरों से बारह बारह घंटे काम करवाया जा रहा है , खुद जाकर देख लीजिए
लेकिन यह सब देखना सरकार की प्राथमिकता ही नहीं है
सभी पार्टियां इस मामले में एक जैसी साबित हुई हैं
आप मानते हैं कि देश में सब ठीक ठाक चल रहा है
हमें इसी बात की चिंता है कि इतना अन्याय होते हुए भी सब कुछ ठीक ठाक क्यों चल रहा है ?
हमारी चिंता अशांती नहीं है
हमारी चिंता शांती है
अन्याय के रहते शांती बेमानी और नाकाबिले बर्दाश्त है
इनमें से बहुत सारे मजदूर पहले किसान थे जिन्हें हम शहरियों के विकास के लिए बाँध बनाने, हाई वे बनाने , हवाई अड्डा बनाने या अमीरों के कारखाने बनाने के लिए उजाड दिया गया .
हमने किसान को पहले मजदूर बना दिया
फिर जब ये मजदूर पूरी मजदूरी मांगता है तो हमारी ही पुलिस इन मजदूरों पर लाठी चलाती है इन्हें गोली से उड़ा देती है
आज तक कभी पुलिस को किसी अमीर को पीटते हुए देखा है कि तुम अपने मजदूरों को कानून के मुताबिक मजदूरी क्यों नहीं देते
आज तक श्रम विभाग के किसी अधिकारी को इस बात पर सज़ा नहीं हुई कि तुमने एक भी फैक्ट्री में मजदूरों को पूरी मजदूरी दिलाने के लिए कार्यवाही क्यों नहीं करी ?
सर्वोच्च न्यायालय का आदेश है कि अगर कोई भी मजदूर कम मजदूरी पर काम करता है उसे बंधुआ मजदूर माना जायेगा
अब ज़रा राष्ट्र की राजधानी में ही सीक्योर्टी गार्ड की नौकरी करने वाले से पूछियेगा कि उसकी ड्यूटी आठ घंटे की है या बारह घंटे की ?
आठ घंटे के काम के लिए मजदूरों नें लंबा संघर्ष किया था
दिल्ली की हर फैक्ट्री में मजदूरों से बारह बारह घंटे काम करवाया जा रहा है , खुद जाकर देख लीजिए
लेकिन यह सब देखना सरकार की प्राथमिकता ही नहीं है
सभी पार्टियां इस मामले में एक जैसी साबित हुई हैं
आप मानते हैं कि देश में सब ठीक ठाक चल रहा है
हमें इसी बात की चिंता है कि इतना अन्याय होते हुए भी सब कुछ ठीक ठाक क्यों चल रहा है ?
हमारी चिंता अशांती नहीं है
हमारी चिंता शांती है
अन्याय के रहते शांती बेमानी और नाकाबिले बर्दाश्त है
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