Tuesday, May 17, 2016

रमन सरकार के क्रूर दमन का शिकार हुर्रे : गर्भवती आदिवासी महिला को बंदूक के बट से मार डाला संघर्ष संवाद

रमन सरकार के क्रूर दमन का शिकार हुर्रे : गर्भवती आदिवासी महिला को बंदूक के बट से मार डाला

संघर्ष संवाद 



तामेश्वर सिन्हा

छत्तीसगढ़; यहाँ जान से जाना आम बात है, आदिवासियों की जिंदगी की कोई अहिमियत नही समझती सरकार और ये आदिवासी नेता सब जान कर भी अनजान बने हुये है। बस्तर में सरकार और नक्सलियों के बिच हिंसा का युद्ध छिड़ा हुआ है कब, कौन निर्दोष बेगुनाह आदिवासी किसकी गोली का शिकार हो जाये कहा नही  जा सकता। जब चाहे, जिसे चाहे नक्सल मोर्चे पर तैनात जवान आम बस्तर के आदिवासियों को उठा कर गोली मार देते है, जेल में डाल देते है, महिलाओं के साथ बलात्कार को अंजाम देते है। नक्सली आदिवासियों को मुखबिर बता कर मार डालते है, उनके लगाये बम, बारूद से मासूम बच्चे मर जाते है ।

और यह सब वीभत्स कार्य रमन सिंह संघी भाजपाई सरकार के निगरानी में हो रहा है, आदिवासी सांसद, विधायक नेता इन सब घटनाओ को देखते हुये भी हाथो में बेड़िया बांधे गुलामो की तरह कार्य कर रहे है, और रोज पल -पल बस्तर में आदिवासी मर रहा है।

सरकार पहले बस्तर में आदिवासियों के ऊपर शोषण, बलात्कार, अत्याचार का प्रयोग कर देख रही है, वो जल,जंगल,जमीन लूटने के सारे हथकंडे आदिवासी के ऊपर अपना रही है, जिसमें वो अपने आप को सफल पा रही है, न कही से कोई विरोध के स्वर गूंज रहे है, न कोई आदिवासी नेता उठ खड़ा हो रहा है ।

इसी प्रयोग के चलते आज बड़े गुड़रा की आदिवासी गर्भवती महिला हुर्रे को अपनी जान गंवानी  पड़ी। हुर्रे के पति कथित नक्सली के आरोप में जेल में बंद है  जंगल में मुर्गा पकड़ने गये हुर्रे के पति हुंगा करतम को सुरक्षा बल उठा ले गये, उसे छुड़ाने के फ़रियाद लेकर जब हुर्रे थाना पहुची तो बन्दुक के बट से गर्भवती हुर्रे के पेट में जवानो ने मार दिया। आदिवासी कार्यकर्त्ता सोनी सोरी ने गंभीर हालात में हुर्रे को अस्पताल में दाखिल करवाया, लेकिन सरकार के खस्ताहाल स्वास्थय के चलते हुर्रे ने अपना दम तोड़ दिया । वो मर गई। सरकार और माओवाद के बिच चल रहे हिंसा के बिच पीस कर फिर एक गर्भवती आदिवासी महिला अपनी जान गंवा डाली।
और तमाम आदिवासी नेता, सांसद, विधायक, युवा बुद्धिजीवी शोक मानाने के काबिल भी नही रहे । धिक्कार है ऐसे लोगो पर । हुंगा पर आरोप है कि वह मैलावाड़ा विस्फोट कांड में शामिल था, मगर बड़ेगुडरा के ग्रामीणों का कहना है, हुंगा एक सीधा-सादा ग्रामीण है. पुलिस ने उसे तब गिरफ्तार किया जब वह अपने दोस्तों के साथ भोजन की तलाश में शिकार करने जंगल गया था. तो सर्चिंग के लिए निकली पुलिस ने उन पर माओवादी होने के शक पर फायरिंग कर गिरफ्तार कर लिया था.

बंदूक की बट से हमला

पति के अचानक गायब होने के दुख से घिरी गर्भवती हुर्रे पति की तलाश में भटकती पुलिस कार्यालय पहुंची वहांसिपाही ने उसे खदेड़ा तो बंदूक की बट पेट में जा लगी. हुर्रे अपने गांव लौटी और कुछ दिनों बाद उसने बच्चे को जन्म दिया. ग्रामीण बताते हैं, हुर्रे बच्चे को छाती से चिपकाए सुबह जेल के बाहर खड़ी हो जाती और फिर शाम तक इस बात का इंतजार करती कि उसका पति बाहर निकले. हुर्रे सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोढ़ी के साथ पिछले महीने 27 अप्रैल को पति से मिली थी. हुंगा के समझाने पर हुर्रे घर लौट आई लेकिन भीतर ही भीतर टूट चुकी हुर्रे बीमार होती चली गई.

जेल के बाहर रोज पति का करती थी इंतजार 

हुंगा की पत्नी हुर्रे अपने नवजात बच्चे के साथ पति को तलाश करते-करते जिंदगी की जंग हार गई और रविवार को उसने दुनिया से ही नाता तोड़ लिया. काफी मशक्कत के बाद हुर्रे का शव उसके गांव बड़ेगुडरा तो पहुंच गया लेकिन, बड़ा सवाल उठ खड़ा हुआ है कि क्या हुंगा अपनी पत्नी की चिता को अग्नि दे पाएगा? क्या उसे कुछ घंटों की मोहलत मिलेगी?

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