Wednesday, May 4, 2016

हमें इस “चीड़” नामक पेड़ को जड़ से हटाना होगा और इसके जगह फलदार वृक्ष जैसे अखरोट, चुलू , खुबानी, आड़ू, पुलम, सेव, आम, पपीता, केला, कागजी, नीबू, गलगल, चकोतरा , जामुन आदि आदि पेड़ों को अधिक से अधिक मात्रा में लगाने होंगे और इसके लिए हमें खुद से ही शुरुआत करनी सुनिश्चित करनी होगी |

गैर-राजनीतिक पोस्ट 
Kummy Ghildiyal 
विश्व विख्यात पर्यावरण ऋषि रिचर्ड सेंट बार्ब बेकर , वह मानव जिनका जीवन वनों के प्रति समर्पित रहा, जिन्हें संत कि उपाधि थी जिन्होंने अफ्रीका के सहारा मरुस्थल का पेड़ लगाकर विस्तार रोका , को वृक्ष मानव भी कहा जाता है , श्री बेकर दो बार भारत आये एवं नव्वे वर्ष कि उम्र में वो टिहरी भी आये , कि १२५ वीं जयंती पर उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर केंद्रित, वरिष्ठ पर्यावरणविद परम श्रधेय श्री सुन्दरलाल बहुगुणा जी द्वारा लिखित पुस्तक के नवीनतम संस्करण का विमोचन गतवर्ष वीजापुर गेस्ट हाउस देहरादून में मुख्य मंत्री श्री हरीश रावत जी कि अध्यक्षता में संपन्न हुवा , इस अवसर पर उत्तराखण्ड विधान सभा के स्पीकर श्री गोविन्द कुंजवाल जी और अनेकों वरिष्ठ समाजसेवी राज्य सरकार के अधिकारी भी उपस्तिथ थे |
इस उपलक्षय में पर्यावरण से सम्बन्धित मुद्दों पर गहन-चर्चा, विचार-विमर्श हुये
पर्यावरणविद परम श्रधेय श्री सुन्दरलाल बहुगुणा जी द्वारा मुख्य रूप से कहा कि “ पहाड़ों मे चीड़ का वृक्ष वन-सम्पदा के लिए नुकसान देह है , इसके जगह फलदार वृक्ष लगाये जाने चाहिए |
इस सन्दर्भ में उत्तराखण्ड राज्य के तत्कालिक मुख्यमंत्री माननीय श्री हरीश रावत जी द्वारा भी उत्तराखण्ड में दो चीजों से होने वाले नुकसान के सम्बन्ध में अपनी गंभीर चिंता जाहिर की
१. पहली यह थी कि आज उत्तराखण्ड को जंगली सुवरों से खतरा हो गया है, और यहाँ के कृषक भाई खेतों में खेती करने के लिए असमर्थ हो रहें हैं क्योंकि जंगली सुवर सारी खड़ी फसलों को तबाह कर दे रहें हैं | इस सन्दर्भ में उत्तराखण्ड सरकार द्वारा सुरक्षात्मक ठोस कदम उठायें गए हैं, जिससे जनता में अब खेती के प्रति भय खत्म हो गया है |
२. दूसरा उन्होंने भी चीड़ के पेड को नुकसान देह बताया क्योंकि इससे निकलने वाले लीसे और पिरुल से भयंकर दावानल कि स्तिथि उत्पन्न होती ही है और इससे जंगल में उगी अनेकों प्राकृतिक वन-सम्पदा जीव जंतु जलकर खत्म हो रहें हैं, उनके अनुसार यदि इसे नहीं हटाया गया तो निकट भविष्य में प्राकृतिक वनस्पति जैसे हिंसर किन्गोड आदि आदि एवं अनेक जीव जंतु लुप्त हो जायेंगे . श्री रावत जी ने यह भी बताया कि उन्होंने इसके निदान के लिए वन मंत्रालय केंद्र सरकार से आवश्यक आदेश निर्गत करवाने सम्बन्धी अनुरोध किया है |
साथियों आज वाकई में हमें यदि अपने इस उत्तराखण्ड को हरा भरा फायदेमंद बनाना है तो हमें इस “चीड़” नामक पेड़ को जड़ से हटाना होगा और इसके जगह फलदार वृक्ष जैसे अखरोट, चुलू , खुबानी, आड़ू, पुलम, सेव, आम, पपीता, केला, कागजी, नीबू, गलगल, चकोतरा , जामुन आदि आदि पेड़ों को अधिक से अधिक मात्रा में लगाने होंगे और इसके लिए हमें खुद से ही शुरुआत करनी सुनिश्चित करनी होगी |
आदर सहित

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