Tuesday, May 17, 2016

कुरुक्षेत्र तैयार है महाभारत के लिए। केसरिया सुनामी के शिकंजे में असम के साथ बंगाल भी, आगे राम जाने।बाकी देश की क्या कहें? बंगाल में दीदी जीत गयी तो जीत उनकी जितनी नहीं,उससे कहीं बड़ी जीत संघ परिवार की होगी क्योंकि विपक्षी गठबंधन की राजनीति को उसने बंगाल के मुश्किल हालात में शिक्स्त दे दी है और असम फिर हिंदुत्व का प्रयोगशाला है गुजरात के बाद। सरकार किसी की भी बने,ज्वलंत समस्याओं से निपटना मुश्किल है बंगाल में।सरकार को सूखे से निपटने के लिए ही दस हजार करोड़ चाहिए और कर्मचारियों का वेतन भत्ता बकाया है। एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास हस्तक्षेप

कुरुक्षेत्र तैयार है महाभारत के लिए।
केसरिया सुनामी के शिकंजे में असम के साथ बंगाल भी, आगे राम जाने।बाकी देश की क्या कहें?
बंगाल में दीदी जीत गयी तो जीत उनकी जितनी नहीं,उससे कहीं बड़ी जीत संघ परिवार की होगी क्योंकि विपक्षी गठबंधन की राजनीति को उसने बंगाल के मुश्किल हालात में शिक्स्त दे दी है और असम फिर हिंदुत्व का प्रयोगशाला है गुजरात के बाद।

सरकार किसी की भी बने,ज्वलंत समस्याओं से निपटना मुश्किल है बंगाल में।सरकार को सूखे से निपटने के लिए ही दस हजार करोड़ चाहिए और कर्मचारियों का वेतन भत्ता बकाया है।

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
हस्तक्षेप
पांच राज्यों के लिए19 मई को जनादेश आनेवाला है और कांग्रेस की वापसी बेहद मुश्किल है।तमाम घोटालों में सत्तापक्ष के बड़े नेताओं के गल गले तक डूबे होने के कारण भाजपा जीते या कांग्रेस ,बहुत फर्क जनसंहारी पूंजी वर्चस्व में आने वाला नहीं है।

मानसून देर से आ रहा है और सूखे की मार लंबी चलने वाली है तो बीच में बारिश थमा दावानल फिर तेज हो गया है हिमालय में।अकेले बंगाल में सूखे से निपटने के लिए बंगाल सरकार ने दस हजार करोड़ मांगे हैं जबकि बंगाल के मुकाबले कर्नाटक,तेलंगाना से लेकर उत्तर, पश्चिम और मध्य भारत में सूखे की वजह से भुखमरी की हालत हो रही है और लोग बूंद बूंद पानी को तरस रहे हैं।

सरकार ने सूखे से निपटने की जिम्मेदारी पानी ट्रेनों के दिखावे के अलावा छोड़ दी है और आगे यूपी का चुनाव है तो धर्मोन्मादी ध्रूवीकरण तेज होने वाला है।फिर अमुक तारीख को राममंदिर बनाने का ऐलान हो गया है।कुरुक्षेत्र तैयार है फिर महाभारत के लिए।

बिहार में जातियों के गठबंधन से संघ परिवार के अश्वमेध को रोक लेने की खुशफहमी हवा हवाई है तो असम और बंगाल में भी केसरिया सुनामी है।वाम कांग्रेस गठबंधन आगे बढ़ने के आसार नहीं हैं तो भाजपा का हौसला बुलंद है और यूपी मेंवह अकेले ही लड़ने जा रही है।

मोदी के दो साल के कार्यकाल में जो कुछ हुआ,उसका असर कुछ होने को नहीं है क्योंकि कहीं भी इस धर्मोन्मादी ध्रूवीकरण के खिलाफ आम जनता की मोर्चाबंदी नहीं है।बंगाल में भी नहीं।

दीदी की वापसी तय है,हांलाकि कुछ दिग्गजों के सर हार की तलवार लटक रही है या फिर दीदी किसे हाशिये पर डाल देंगी,यह भी तय नहीं है।बहरहाल दो तीन फीसद वोट इधर उधर हो जाये तो पचासेक सीटों में अंतर इतना कम है कि नतीजे एकदम उलट हो सकते हैं।

दीदी की वापसी हो गयी तो राज्यसरकार के कर्मचारियों का बकाया वेतन और भत्ता देने की बड़ी चुनौती है और वाम पक्ष की वापसी हो गयी तो भी यह चुनौती खत्म होने वाली नहीं है।खजाना खाली है और केंद्र की मदद वेतन में खपने वाली है।

हिंसा का तांडव भी थम नहीं रहा है तो इंच इंच देख लेने की चेतावनी और लगातार जारी बजरंगी धावे के सिलसिले से कानून और व्यवस्था का सरदर्द भारी है।हादसे भी कम नहीं हो रहे हैं।

निर्माणाधीन क्या क्या टूटने वाला है, कहना मुश्किल है तो गंगा के आर पार बेरोजगारी मुंह बाएं खड़ी है और चायबागानों में मृत्यु जुलूस जारी है।सिंगुर के किसानों को मुआवजा मिलेगा या नहीं,सुप्रीम कोर्ट के फैसले और कानूनी दांव पेंच पर निर्भर है।

आम लोगों के लिए धीरज का बांध टूटने लगा है।शांतिपुर में नाव हादसे में बीस लोगों की मौत हो गयी और वहां नाराज शोक स्तब्ध परिजनों की भीड़ ने आगजनी की ,पुलिसवालों को धुन डाला तो पुलिस को रबर के बुलेटभी छोड़ने पड़े।

इस कांटे की लड़ाई में जो भी जीते ,विपक्ष कम मजबूत नहीं होने जा रहा और बंगाल में भाजपा एक बड़ी ताकत बनकर उभरी है,जिसे चुनाव से पहले कोई भाव नहीं दे रहा था।अब हालात ऐसे हैं कि भाजपा चार से लेकर बीस तक सीटें कुछ भी जीत लें,ताज्जुब नहीं है क्योंकि बंगाल की जमीन पर कमल खूब खिल रहे हैं।

पुड्डुचेरी को छोड़कर बाकी चारों राज्‍यों में भाजपा ने 2014 आम चुनावों में जबरदस्‍त पैठ बनाई थी। इससे पहले 2011 में विधानसभा चुनावों में इन चारों राज्‍यों में भाजपा का वोट शेयर केवल 5 प्रतिशत था। 2014 आम चुनावों में यह आंकड़ा बढ़कर 20.5 प्रतिशत हो गया।

इसबार असम जीतकर बंगाल में विपक्ष  को हराकर संघ परिवार बल्ले बल्ले हमने के मूड में एकसात दिवाली और होली मनाने की तैयरी में है तो समझ लें कि सत्ता वर्ग के पूंजी वर्चस्व और अश्वमेधी राजसूय का मनुस्मृति अनुसासन लागू करने का हिंदुत्व एजंडा के आगे राजनीतिक आत्मसमर्पण है।

यूं तो असम को छोड़कर भाजपा अन्य चार चुनावी राज्यों- पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल और पांडिचेरी में किसी भी स्थान पर सत्ता की लड़ाई नहीं लड़ रही थी। लेकिन भाजपा की भविष्य की रणनीति में केवल इतना भर नहीं है।

दरअसल उन राज्यों में कौन सत्ता में आता है इसको देखकर भी आगे का रास्ता तय होगा। सूत्रों के अनुसार असम में भाजपा का सत्ता में आना संभव है और यह हुआ तो दिल्ली और बिहार की हार के बाद इससे बड़ा नैतिक बल मिलेगा। उत्तर पूर्व में फतह का अर्थ यह भी होगा कि भाजपा कांग्र्रेस मुक्त भारत की दिशा में सही मायनों में बढ़ गई है। अरुणाचल प्रदेश में वैसे भी फिलहाल भाजपा की ही है।पूर्वोत्तर भी अब केसरिया शिकंजे में है।

बंगाल में एक्जिटपोल के मुताबिक सत्ता पक्ष और विपक्ष में अंतर दो तीन फीसद के बराबर है और भाजपा के वोट दस फीसद से ज्यादा ोहने के आसार नहीं हैं।चुनाव नतीजे पंडितों के विश्लेषण से हटकर हो सकते हैं और एक्जिट पोल धरा का धरा रह सकता है।

दूसरी ओर,असम में भी भाजपा की भारी जीत होने की उम्मीद जताई जा रही है।हांलाकि तमिलनाडु में अम्मा हारे या जीते,वहां फिलहाल भाजपा वहां घुस नहीं पा रही है लेकिन केरल में भी भाजपा की घुसपैठ हो चुकी है।

ताजा खबर यही है कि मीडिया के मुताबिक बंगाल में ममता का किला सलामत है और तृणमूल कांग्रेस की शानदार वापसी की संभावना जताई गई है। कांग्रेस को यहां थोड़ी कामयाबी मिलती दिखाई दे रही है। मतदान समाप्त हो जाने के बाद सोमवार को शाम सात बजे असम और बंगाल के लिए जारी किए गए चार एग्जिट पोल में से तीन ने असम में भाजपा की सरकार बनने के कयास लगाए हैं। जबकि बंगाल में तृणमूल के लिए सभी ने अच्छी खबर दी है। देर शाम तक विभिन्न टीवी न्यूज चैनलों पर प्रसारित किए एग्जिट पोल के नतीजों के मुताबिक, असम में कांग्रेस को बेदखल कर भाजपा को सरकार बनाने का मौका मिलेगा जबकि तमिलनाडु में जयललिता के अन्नाद्रमुक को हटाकर द्रमुक का सत्ता पर कब्जा होना है तो केरल में वामपक्ष जीत रहा है।

-टुडे चाणक्य के मुताबिक वेस्ट बंगाल में टीएमसी को 210, लेफ्ट-कांग्रेस को 70, बीजेपी को 14 सीटें मिलने की संभावना। -एक्सिस माई इंडिया और टीवी टुडे के मुताबिक टीएमसी को 233 से 253, लेफ्ट को 38-52, बीजेपी को 1-5 और अन्य को 2-5 सीटें मिलने की संभावना। -एक्सिस माई इंडिया के मुताबिक टीएमसी को 52 फीसदी, लेफ्ट को 29 फीसदी, बीजेपी को 10 फीसदी और अन्य को 10 फीसदी वोट मिलने की संभावना। -एबीपी आनंदा के मुताबिक बंगाल में टीएमसी को मिल सकती हैं 178 सीटें। लेफ्ट और कांग्रेस गठबंधन को मिल सकती हैं 110 सीटें। बीजेपी को एक व अन्य को पांच सीटें मिलने के आसार।

बंगाल में दीदी जीत गयी तो जीत उनकी जितनी नहीं,उससे कहीं बड़ी जीत संघ परिवार की होगी क्योंकि विपक्षी गठबंधन की राजनीति को उसने बंगाल के मुश्किल हालात में शिक्स्त दे दी है और असम फिर हिंदुत्व का प्रयोगशाला है गुजरात के बाद।

हालांकि  कोलकाता सट्टा बाजार के अनुसार पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में वाम मोरचा व कांग्रेस गंठबंधन को बहुमत मिलेगा। सट्टा बाजार के अनुसार राज्य की कुल 294 सीटों में से वामो-कांग्रेस गंठबंधन को 167 सीटें, तृणमूल कांग्रेस को 111 सीटें, भाजपा को 12 सीटें, गोजमुमो को दो व अन्य को एक सीट मिलने की संभावना है। पिछले कई दशकों से कोलकाता सट्टा बाजार की विशेषज्ञता और विश्वासनीयता बनी हुई है। इसी कारण से आज भी लोग सट्टा बाजार के अनुमानों पर भरोसा करते हैं।

इसके विपरीत मीडिया के मुताबिक ममता बनर्जी पहले से भी अधिक बड़े बहुमत से पश्चिम बंगाल की सत्ता बरकरार रखने जा रही हैं। यह अनुमान राज्य में सोमवार को समाप्त हुए मतदान के बाद 'पोल्स ऑफ एक्जिट पोल' में लगाया गया है। पोल ऑफ पोल्‍स के मुताबिक, ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस राज्य की 294 सीट में से 196 पर जीत हासिल कर सकती है। पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 184 सीटों पर जीत हासिल की थी। लेफ्ट-कांग्रेस गठबंधन को 92 और बीजेपी को तीन सीट मिलने का अनुमान लगाया गया है। पोल ऑफ पोल्स में विभिन्न एक्‍जिट पोल्‍स को जोड़ा गया है।

No comments:

Post a Comment